कमी
जब इंसान अपने अंदर झाँकना शुरू कर देता है यानि कि अपने गिरेबाँ में ,तो उसे बाहर कही कोई कमी नजर नही आती।उसके भीतर ही इतनी कमियां होती है उसे सुधार करने में उम्र भी छोटी पड़ जाती है।बाहरी दुनियाँ से उसका नाता ना के बराबर होता है। वो दुसरो पर उँगली नही उठा सकता। क्योंकि उसे पता रहता है कि मुझमें शायद सामने वाले से भी ज्यादा कमी है। बस जब हम नजर अपनी कमियों पर रखते हैं तो हमे सारी दुनियाँ खूबसूरत नजर आती है।किसी में कोई कमी नजर नही आती। बस हर एक में वो खूबियां ही खूबियां नजर आती है और ये खेल सब हमारी सोच का है नजरिये का है। जब आपका नज़रिया सही होता है तो आपको किसी में भी कमी नजर नही आती।
-