जिंदगी की ट्रेन ऐसे जंक्शन पर आ पहुंची है जहां समझ नहीं आ रहा है इंजन बदलना है या लाईन बदलना है या यार्ड में मे जा कर खड़े हो जाना है और सिग्नल देने वाले पर भरोसा भी नहीं है।
मेरी गाड़ी की आवाज़ सुन यूं बालकनी पे आजना, मुझे जाते हुए छुप छुप के यूं खिड़की पे आजाना, सामने आजाऊ तो स्तब्ध होके खड़े हो जाना, गर ना दिखु एक दिन तो जोर जोर से SAD सोंग बजाना, यह प्यार नहीं है तो क्या है जरा हमें बताना।