QUOTES ON #गांठ

#गांठ quotes

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29 JUL 2017 AT 20:20

तू क्या जाने उसके मन की गांठ
रसोई और बिस्तर से ज़्यादा कभी जाना है भला

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31 MAR 2018 AT 0:47

जाने कितनी गांठे खोलनी थी हमें साथ मिलकर
गांठें और बढ़ गयीं
रूहें उलझ पड़ीं!

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29 JUL 2017 AT 20:05

●गांठ●
यदि मन में पड़ जाए
दिल कहीं न लगता है
यदि जीवन में पड़ जाए
प्रतिपल फीका लगता है
यदि रिश्तों में पड़ जाए
तिल-तिलकर इंसां मरता है

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11 FEB 2020 AT 13:05

जब दूसरी गाँठ लग जाती है तो पहली की चिंता नहीं रहती.

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18 JUN 2020 AT 19:10

जब रिश्तों के धागों के बीच होने लग जाता है खींचातानी,,
तो इस रिश्तों के धागों में एक निहित स्वार्थ का पड़ ही जाता है गांठ ए निशानी।।

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25 JAN 2019 AT 21:21

जब रिश्ते टूटते हैं तो लोग टूटके बिखर जाते हैं, अगर रिश्ता बिखर जाए तो उसे तोड़ने में भलाई है
क्योंकि अगर रिश्ता वापस जुड़ता भी है, तो उसमें गाँठ पड़ जाती हैं और पहले जैसी बात नहीं रहती ।

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14 NOV 2018 AT 14:55

लफ्ज कुछ अनकहे से बाँध रखे हैं अपने दामन में ,
गांठ भी खूबसूरत है बिल्कुल तुम्हारी हंसी की तरह !

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मैं गांठ हृदय का खोलूं क्या,,
चन्द नन्हीं आकांक्षाओं को,,
स्वप्न माल्य में पिरो लूं क्या...?

बिखरे हैं नेत्र मोती मौन अंधियारे में,,
आज इन अश्रुओं द्वारा दिवा में,,
मौन वेदनाओं को धो लूं क्या...?

क्षण क्षण हृदय में उभरती स्मृतियों को,,
सदैव लुप्त किया है इन्हें नेत्र त्राताओं ने,,
आज इन स्मृतियों में स्वयं को डुबों लूं क्या...?

किस क्षण तक लुप्त रखूं इन वार्ताओं को,,
कब तक मौन रहेगा पीड़ाओं का जलप्रलय,,
कहो ना! आज मैं गांठ हृदय का खोलूं क्या...?

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9 JUN 2021 AT 23:16

गठबंधन की गांठ आज भी संभाल रखी है मैंने
ये बात और है इसका दूसरा सिरा अब नजर नही आता

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8 OCT 2019 AT 0:49

कैसी है ये उधेड़बुन
बुन-बुन.. उधेड़ना
और उधेड़ कर फिर बुनना....
कुछ उलझने जो सुलझती ही नहीं
और कुछ ऐसे कि उलझी ना कभी
फिर भी हम उलझ जातें है उनमें
बस यूं ही..... सुलझाते.... समझते
कुछ कच्चे से रिश्ते... जिनकी
गाठें खोल दी जाएं तो अच्छा है
कुछ टूटे रिश्तों को गांठों से... गर
जोड़ा जाए....तो क्या बुरा है?
ये टूटते जुड़ते रिश्तों के सिरे
तेरे - मेरे मन से ही तो हैं
कभी सुलझी कभी उलझी सी
फिर भी बुनती रहती ये ताना-बाना
ज़िन्दगी का कुछ यूं ही....की
बनती जा रही हूं मैं तेरे मन से जुड़ी
एक डोर के उधेड़बुन का फसाना सी

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