QUOTES ON #ग़ज़ल

#ग़ज़ल quotes

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22 MAY 2021 AT 22:21

जो हो मुमकिन तो लाशें छुपा दीजिए
वरना जाकर नदी में बहा दीजिए

कह दो सबसे ज़बानों पे ताला रहे
जो न मानें तो बल से दबा दीजिए

वेंटिलेटर चले ना चले छोड़िए
उसपे फ़ोटो बड़ी सी छपा दीजिए

जैसे ही ख़त्म हो ये कोरोना के दिन
हिंदू मुस्लिम को फिरसे लड़ा दीजिए

है इलेक्शन के पहले ज़रूरी बहुत
फिरसे नफ़रत दिलों में बसा दीजिए

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4 MAR 2020 AT 13:24

मैं फ़क़त लिखता रहा गर मुल्क के हालात पर
तो ग़ज़ल बन्ने से पहले, मर्सिया हो जाऊँगा!

मार कर तुम बेगुनाहों को बचोगे कब तलक ?
वक़्त हूँ मैं, ज़ख़्म बन कर फिर हरा हो जाऊँगा

میں فقط لکھتا رہا گر ملک کے حالات پر
تو غزل بننے سے پہلے مرثیہ ہو جاؤں گا

مار کر تم بےگناہوں کو بچوگے کب تلک
وقت ہوں میں،زخم بن کر پھر ہرا ہو جاؤں گا

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31 MAR 2020 AT 21:36

चलो इस बार मिल जाएँ, जुदाई अब नहीं होगी
मिरे दिल से मुहब्बत की रिहाई अब नहीं होगी

वहाँ परदेस में तनहा बहुत पैसे कमाते थे
मगर हम से वहाँ तनहा कमाई अब नहीं होगी

गई जब नौकरी तब आँख खोली अंध-भक्ति से
कहा हमसे हुकूमत की बड़ाई अब नहीं होगी!

ज़बाँ जब तक सलामत है, मैं सच्ची बात बोलूँगा
डरा कर तुम ये मत समझो, बुराई अब नहीं होगी!

जहेज़ों के पुजारी हो, तुम्हें लड़की से क्या लेना ?!
लिफ़ाफ़े ले के चल दो, मुँह-दिखाई अब नहीं होगी

मिरे अब्बू को लोगों ने यहाँ ज़िंदा जला डाला
मुझे रोटी कमाना है, पढ़ाई अब नहीं होगी!!

वबा ऐसी चली शमशेर, सब को एक कर डाला
धरम के नाम पर शायद छटाई अब नहीं होगी!

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18 FEB 2020 AT 17:22

तूने सोचा था कि मर जाऊँगा तुझको खो कर
इतना मुश्किल तो नहीं तुझ से किनारा करना

تُو نے سوچا تھا کہ مر جاؤں گا تجھکو کھو کر
اتنا مشکل تو نہیں تجھ سے کنارہ کرنا

हम तेरे बाद भी खुश हैं तो ताज्जुब कैसा?
हमने सीखा हि नहीं तुझ पे सहारा करना

ہم ترے بعد بھی خوش ہیں تو تعجب کیسا
ہم نےسیکھا ہی نہیں تجھ پہ سہارا کرنا

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2 APR 2020 AT 21:48

आप को भी लोग बद-अख़लाक़ ना कह दें कहीं
हम बुरे लोगों से इतना वास्ता अच्छा नहीं

छोड़ कर माँ-बाप को, तुम जा रहे हो पर सुनो
जो सभी से दूर करदे, रास्ता अच्छा नहीं!

آپ کو بھی لوگ بد اخلاق نہ کہہ دیں کہیں
ہم بُرے لوگوں سے اتنا واسطہ اچھا نہیں

چھوڑ کر ماں باپ کو تم جا رہے ہو پر سُنو
جو سبھی سے دور کردے راستہ اچھا نہیں

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17 SEP 2019 AT 17:55

तेरे मेरे दरमियाँ थी जो वो घर की बात थी
हो गया शामिल ज़माना फिर तमाशा हो गया

تیرے میرے درمیاں تھی جو وہ گھر کی بات تھی
ہو گیا شامل زمانہ پھر تماشہ ہو گیا





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27 APR 2020 AT 14:57

मुहब्बतों में मिलके ऐसा कोई काम करें,
सारी दुनिया हमारे प्यार को सलाम करे।

मैं तेरे प्रेम में कैलाश पर चली जाऊँ,
तू मेरे इश्क़ में दरगाह का एहतराम करे।

हम मिलें ऐसे जैसे गंगा जमना मिलती है,
उसी तहज़ीब से फिर इश्क़ सरेआम करें।

ज़िन्दगी की वसीअतों का फ़ैसला कर लें,
मैं तेरे नाम करूँ और तू मेरे नाम करे।

तेरे मेरे न दरम्यान रहें ये रस्में,
ऐसा अल्लाह सबब बनाए, ऐसा राम करे।

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18 APR 2019 AT 20:46

देर तक देखी थी हमने बे-ख़याली पेड़ की
रफ़्ता रफ़्ता गिर पड़ी हर एक डाली पेड़ की

देखने को रोज़ पतझड़ इन्तेहाई देख ले
देख पायेंगे नहीं हम पाएमाली पेड़ की

सर्द रातें हैं क़यामत और चलती ये हवा
सो गए सारे परिंदे रात काली पेड़ की

पेड़ के नीचे शिक़ायत कर रहा वो शख़्स फिर
ध्यान से सुनने लगा बातें निराली पेड़ की

देख कर बारिश पुरानी पेड़ ख़ुश था इसलिए
खींच ली तस्वीर हमने आज ख़ाली पेड़ की

फिर थकन को ओढ़ गहरी नींद में हम सो गए
रास्ते में देर तक तो छाँव टाली पेड़ की

सब्ज़ होने के लिए हम ख़ुश्क हैं पहले पहल
हाय! ये तरक़ीब हमने आज़माली पेड़ की

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8 JUN 2020 AT 22:18

बिन मतलब के लोगों की अब सुनना नहीं
जो आएगा दिल में अब बस लिखना वही

कुछ अपनी तो कुछ औरों की बात लिख रही
कभी ख़्वाब तो कभी सच्चे जज़्बात लिख रही

जानती नहीं हूँ अभी क्या ग़लत है क्या सही
यूँ तो दुनिया है ये चन्द सिक्कों में बिक रही

लिखने की क़ायनात ये कुछ सबक बन रही
पूछती हूँ ग़र दिल से तो यही मज़हब बन रही

जो कह सकती हूँ उसको लफ़्ज़ों में कह रही
बाकी अल्फ़ाज़ को अब पन्नों पर लिख रही

लिखने की चाहत ही अब मेरा सफ़र बन रही
पूछती हूँ ग़र रूह से तो यही हमसफ़र बन रही

कुछ कहती हूँ बातें तो कुछ बातें हैं अनकही
जिन्हें अब मेरी लेखनी ही है जो पूरी कर रही

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24 MAR 2021 AT 19:09

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