ज़िंदगी की जुस्तजू में तू ज़िंदगी बन जा,
ढूंढ मत अब रोशनी, ख़ुद रोशनी बन जा!
रोशनी में रोशनी का क्या सबब, ऐ दोस्त,
जब अंधेरी रात आए, तू चांदनी बन जा!
कशमकश में हैं गर तो तू निकल इससे,
तब तू मेरी जिंदगी की जरूरत बन जा!
हर तरफ़ चौराहों पे भटकती तुम क्यों हो,
तुमको अपनी सी लगे, तू वो गली बन जा!
कुंओं में जीते हुए सदियां कई गुजर गई,
क़ैद से बाहर निकल, तू धड़कन बन जा!
गर शराफ़त में नहीं हो पानी का कोई ढंग,
बादलों की तर्ज़ पर तू आवारगी बन जा!
बहुत जी लिया तुमको ख़्वाबों में ऐ 'राज' __Mr Kashish
बस..... एक बार तो तू हकीकत बन जा!
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