हज़ार अच्छा करले तू किसी के लिए, अंत में तेरी गलतियों के ही कसीदे पढ़े जाने है, मत बदल तू खुद को किसी के लिए भी, तुझे बदलता देख वो ही सबसे पहले चले जाने है!
अपनी गलतियों को आदतों की चादर में छिप जाती हैं तरक्कियाँ अहम के नीचे दब जाती हैं जाने कितनी जिंदगियाँ स्वीकार कर लेने से घट नहीं जाता मान स्वीकार करो उन्हें और बनो बेहतर इंसान