बचाये कैसे हर तरफ़ बिखरी पड़ी है अश्लीलता चरित्र को बचाये कैसे... उन्माद के साधन पसरे चहुँ ओर बहकने से बचाये कैसे... बचपन के हाथों में थमा दिए जवानी के राज नैतिक पतन से बचाये कैसे... ऐश के साधनों ने जीवन को बना दिया बाज़ार भोग-विलास से बचाये कैसे... फिल्मों ने स्त्री को परोसा बना के कामुकता का आहार सोच को अच्छा बनाये कैसे... गंद के गर्त में गिरते मानव को सड़ांध न जाने भाये कैसे... बेशर्मी से भरे नक्कार खाने में शर्म की तूती सुनाये कैसे...
✍️✍️ जब एक बालक जमीर से गिरता है तो एक जीवन गर्त मैं डूब जाता है जब एक युवा जमीर से गिरता है तो एक परिवार गर्त में डूब जाता है परंतु जब एक बूढ़ा जमीर से गिरता है तो पूरी पीढ़ी ही गर्त में डूब जाती है ✍️✍️ पीढ़ियां डूब जायेंगी बुजुर्गों खैर करो कर चुके ऐश बहोत अब सुकून-ए-सैर करो
वह जो मेरे मौत के इंतजार में डूबे होंगे। नजाने वह किस खुमार में डूबे होंगे। सोचते होंगे उनका बाल भी बांका नहीं होगा। ऐसे लोग भी आंसुओ के गर्त में बेकार में डूबे होंगे।
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