Anu Chhangani 25 NOV 2018 AT 8:02 रजाई की रूत गरीबी के आँगन दस्तक देती है,जेब गर्म रखने वाले ठंड से नही मरते ।। - Anuradha Sharma 3 SEP 2020 AT 22:46 कभी खुशियां, गुल्लक में कैद थी हमारी ।आज गुल्लक का कद आसमान सी बड़ी हमारीकभी, चीज़ें ज़रूरत हुआ करती थी हमारी ।अब, चीज़ें नशे की शक्ल ले चुकी है हमारी ।खुशियों ने भी, नकाब ओढ़ ली हमारी ।जानें, कब तक टिकेगी बनावटी हस्सी हमारी ! - SATYAM TIWARI 21 OCT 2019 AT 16:00 राहों में कांटे थे फिर भी वो चलना सीख गया वो गरीब का बच्चा था हर दर्द में जीना सीख गया। - PravasiOfficial AmitabhJha 1 OCT 2019 AT 1:30 Paid Content - कुँवर दीपेन्द्र "नादान" 16 MAY 2020 AT 17:43 हमें इकोनॉमी की फिक्र हैंउसकी जुबाँ पर तो सिर्फ रोटी का ज़िक्र हैं©कुँवर की क़लम से...✍️ - Akshat Mitra 11 MAY 2020 AT 22:57 सहूलियतों की कमी में भी खुश है कोईऔर समृद्ध को बहानो से ही फुर्सत नहीं । - ज़ैनब ख़ान 21 MAY 2020 AT 15:35 दौलत की चमक ये तेरी बीनाई न लूटे गुज़रे जो मुद्दई कोई तो दरगुज़र न हो। - ज़ैनब ख़ान 8 JUN 2020 AT 20:02 ये आह है ग़रीब की, ये अर्श को हिलाएगी,गिरी जो बूँद आँख से, सैलाब लेके आएगी। - Kuशन ➹ 29 JUN 2020 AT 19:37 ख़ुदा मुमकिन करे कि, जब हमारे यार दुख में हों,मेरी सब छीन के खुशियां, अता कर दो उन्हें मौला।वज़न जो तौलते पैसों से हैं, अपनी अमीरी का,गरीबों की तरह तुम दिल फकत, दे दो उन्हें मौला।। - ज़ैनब ख़ान 9 JUN 2020 AT 10:56 सम्पन्न माँ नेबच्चों से पूछा'आज क्या बनाऊँ?' विपन्न माँ नेबच्चों को देखस्वयं से पूछा'आज क्या बनाऊँ?'प्रश्न एक ही था दोनों के अर्थ औरआर्थिक दशा भिन्न रहीं केवल। -