QUOTES ON #गजलें

#गजलें quotes

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27 JUN 2021 AT 12:23

मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं,
वो गजल आपको सुनाता हूं!

एक जंगल है तेरी आंखों में,
मैं जहां राह भूल जाता हुं!

तू किसी रेल-सी गुजरती है,
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूं!

हर तरफ एतराज होता है,
मैं अगर रोशनी में आता हूं!

एक बाजू उखड़ गया जब से,
और ज्यादा वजन उठाता हूं!

मैं तुझे भूलने की कोशिश में,
आज कितने करीब पाता हूं!

कौन ये फासला निभाएगा,
मैं फरिश्ता हूं सच बताता हूं!
:--"दुष्यंत कुमार"
(स्तुति)

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27 JUN 2021 AT 11:30

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है!

एक चिंगारी कहीं से ढूंढ लाओ दोस्तों,
इस दीये में तेल से भीगी हुई बाती तो है!

एक खंडहर के हृदय-सी,एक जंगली फूल-सी,
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है!

एक चादर सांझ ने सारे नगर पर डाल दी,
यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है!

निर्वाचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,
पत्थरों से, ओट में जो-जाके बतियाती तो है!

दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,
और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है!

:--किताब "साये में धूप" (दुष्यंत कुमार)
(स्तुति)

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27 JUN 2021 AT 12:05

मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है!

सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से,
क्या करोगे, सूर्य का क्या देखना है!

इस सड़क पर इस कदर कीचड़ बिछी है,
हर किसी का पैर घुटनों तक सना है!

पक्ष औ' प्रतिपक्ष संसद में मुखर हैं,
बात इतनी है कि कोई पुल बना है!

रक्त वर्षों से नसों में खौलता है,
आप कहते हैं क्षणिक उत्तेजना है!

हो गई हर घाट पर पूरी व्यवस्था,
शौक से डूबे जिसे भी डूबना है!

दोस्तो ! अब मंच पर सुविधा नहीं है,
आजकल नेपथ्य में संभावना है!
:--"दुष्यंत कुमार"
(स्तुति)

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27 JUN 2021 AT 10:48

:--स्तुति

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31 JAN 2020 AT 18:21

उलझ सी गई है,
वो ग़ज़लें जरा...
बता उन्हें कब तक संभालूं..

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11 SEP 2020 AT 13:12

जितनी भी ग़ज़लें आपने बनाई हैं
सच में! बड़ी ही लाजवाब बनाई हैं

हो एक पक्की शायरा आप "प्राची"
ये बस तारीफ़ नहीं है, एक सच्चाई है

काबिल खुदको खूब बनाया है आपने
आपके लफ़्ज़ों से पड़ता ये साफ़ दिखाई है

हमेशा ही बेहतरीन ग़ज़लें लिखते आप
मगर मेहनत करी है तभी ये खूबी पाई है

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14 JAN 2022 AT 16:56

🌧️गजलें मेरी बारिश की फुहारे बाहकर ले गई🌧️
🌫️कागज फड़फड़ाता रह गया🌫️
👩‍❤️‍👨महबूबा को अजनबी डोली में बिठाकर ले गया👩‍❤️‍👨
😭आशिक आंसू बहाता रह गया😭

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हर कोई मोहब्ब्त-ए-जहाँ में मशगूल हो ज़रूरी तो नहीं
हर एक इश्क़-ए-हिकायत मुक्कमल हो ज़रूरी तो नहीं

चमन में हर रोज खिलते हैं हजारों ख़ूबसूरत गुल, उन
फूलों में हर एक गुल गुलाब-ए-गुल हो ज़रूरी तो नहीं

यहाँ कुछ बातें वक़्त के हिसाब से ही समझ आती हैं
इकतरफा इश्क़ में हर मर्तबा दंगल हो ज़रूरी तो नहीं

यहाँ हर कोई मोहब्बत करता है,लेकिन हर किसी का
अपने सनम पर यक़ीन-ए-कामिल हो ज़रूरी तो नहीं

शायरों ने लिखी हैं बेमिसाल, बा-कमाल ग़ज़लें ‘सैंडी'
अब यहाँ हरेक इश्क़ की ही ग़ज़ल हो ज़रूरी तो नहीं।

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10 AUG 2017 AT 17:11

हर शाम...
मैं और मेरी खुशियां..
अपने साथ होने का जश्न मनाते है।
कल मैने पूछा..
क्यों तुम सभी के पास नही रहती,
उसने कहा..
रहती तो बराबर हूं
पर जिक्र कम होता है,
तुमने मोहल्ला बना दिया है मेरा,
कोई होठो पर भी जगह नही देता,
खुशी पर शायरी भी नही मिलती,
गमों पर ग़ज़ले ही ग़ज़ले,
मैं तो सदा ही उनके साथ हूं
जो मुझसे प्यार करते है ,
जिनकी दुःखो से गहरी दोस्ती,
उनके साथ भी हूं मैं..
मुझे बांट लो मैं बहुत बढ़ जाऊंगी,
खुशी के बदले खुशी ही दे जाउंगी,
बस सहेज कर रखना,
जरा संभाल कर रखना,
बड़ी नाजुक हूं मैं ....

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13 JUL 2021 AT 23:46

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