ये जो विकृतियां हैं यहाँ, हमारी ही पैदाइश तो रहती है।
अच्छे-बुरे के दौर में हम क्या हैं, ये च्वाइस तो रहती है।
जमाना आँकनें लगा हैं दौलत से, हर एक किरदार को
इसीलिये रईशी के ढोंग की, यहाँ नुमाईश तो रहती है।
हमारे नसीब में नहीं है वो, हम समझते हैं
फिर भी उसे पाने की, ख़्वाहिश तो रहती है।
चलो नफरत की दीवार, आज गिराते हैं "नवनीत"
दरार हो रिश्ते में, फिर भी गुंजाइश तो रहती है।
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