मन में है इक़ बात हमारे
के रात घनी हो औऱ अम्बर पर तारे,
नयन बंद... कंधे पे सर रख
कहीं किसी रोज़ बैठूँ मैं साथ तुम्हारे...,
चहुँ दिशा रातरानी के फ़ूल खिलें हों
औऱ हवा में घुले हों श्वाश तुम्हारे,
उड़ते भास जो रहे चिढ़ाते
वो सारे जुगनू हों हाथ हमारे,
....मन में है इक़ बात हमारे
के रात घनी हो औऱ अम्बर पऱ तारे,
... क़भी यूँ हो के तुम सबको छोड़ो
औऱ हो जायें हम... ए काश तुम्हारे,
मन में है... इक़ बात हमारे!!
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