QUOTES ON #खुशबू

#खुशबू quotes

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9 FEB 2019 AT 20:50

जानां !! पता है तुम्हे

कैसे रहते हो

ख़्यालों में मेरे

जैसे रहता है ना

इक नादान भौंरां

खुशबू के ज़ेहन में......!!

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27 MAY 2020 AT 10:45

खुशबू-ए-अहसास में जब वो याद आये
भीनी सी खुशबू ख़्वाब में उतर गयी

महकाया फ़िर अपने अहसासों से खूब
जैसे गुलाब की पंखुडियां बिख़र गयी

हाथों से अपने जब सँवारी प्यारी सूरत
गालों की लाली और ज्यादा निख़र गयी

रेश्मी जुल्फ़ो में घुमाया जब-जब हाथ
शर्मों हया हाय् बस बदन से लिपट गयी

नूरानी चेहरे की चमक और चमक उठी
जब वो भी उसकी बाँहो में सिमट गयी

लबों की लबों से जब यूँ हुई टकराहट
मानो एक छुअन से जिंदगी संवर गयी

एक हसीन ख्वाब था वो 'रूचि' रात का
उसके बाद वो परछाई जाने किधर गयी

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26 MAY 2019 AT 13:00

मुझमें बसी हैं तेरी यादें ऐसे
जैसे किसी खाली मर्तबान में खुशबू।।

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28 JUL 2020 AT 11:31

ये मेहंदी तुम्हारे नाम की है,
इसकी खुशबू तुम्हारा
"प्रेम" है!
और इसका जो गाढ़ा रंग
मेरे हाथों पर उतरता है
वो मेरे प्रति तुम्हारे प्रेम की
.
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"गहराई" है!

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29 JUN 2019 AT 19:50

दर्द से कहो मुझे अब रुलाया ना करे
मिल नहीं सकता वो तड़पाया ना करे

सिसक रहा है मेरा दिल कतरा कतरा
अब उसकी और याद दिलाया ना करे

एक बेदर्द उम्मीद थी उस से मिलने की
दोबारा उसकी आस अब लगाया ना करे

जिसने बेवजह दिल से निकाल दिया मुझे
उसको अब अपनी साँसों में बसाया ना करे

वो चाँद किसी और आसमान का हो चला
उसकी चाँदनी में अब और नहाया ना करे

पहले से पता था वो किसी और की खुश़बू है
अब उसे कोई मेरी गली में महकाया ना करे

तू तो एक मुसाफ़िर है रहगुज़र का "आरिफ़"
उसे कहो मेरे रास्तों पे ख़ुद को चलाया ना करे

"कोरे काग़ज़" और बहुत से काम आ जायेंगे
याद में उसकी अपने अल्फाज़ बहाया ना करे

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13 OCT 2020 AT 10:14

हर सुबह उसके ही नाम से शुरुवात होती है,
बाकी पहर उसके ही ख़यालों में आबाद होती है,
देखते ही देखते दिन भी उसके प्यार में ढल जाता है।
और रात तो ऐसे भी उनके नाम से ही बदनाम होती है।

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25 DEC 2017 AT 7:47

Is Bepanah
"ISHQ"
ki khusbuye
Itni hai ki ,
Tu har BAAT me
"KABOOL"
hai...

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14 SEP 2018 AT 19:33

मेहज़ उनके जिस्त में, हम! धुआं से थे......!
इसलिए हवा के साथ, उड़ा दिया, उन्होंने हमें।

अगर कोई, खुशबू होते, तो रोज........!
वो अपने आंगन में, सजाते हमें......।।

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19 DEC 2019 AT 19:25

धुआँ पहले उठा खत जला बाद में
रोज-रोज क्या रखा है तेरी याद में
बुझती चिंगारी ने पकड़ ली लपट
निशानियाँ उसकी रख आया हूँ आग में
एक बार लग जाए तो उम्र भर नहीं जाता
यही तो कमी है दिल पर लगे दाग़ में
भँवरे मँडराकर ले गये फूल खुशबू वाला
अकेले काटों में कहाँ ठहरता माली बाग में
एक होली ऐसी गुज़री आँखों में लाली लेकर
सब रंग फिके-फिके थे उस जाती फाग में
मिलन होता है अश्कों का तकिये से रोज
बेनाम गीत कब बनेंगे तेरे दरबारी राग में

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4 JUN 2017 AT 15:34

वो न हो कर भी, आज भी मुझ पर हक़ जताती है,
वो न हो कर भी, आज भी मुझको सताती है।

वो, वो थी जिसके सताने में भी मज़ा था,
वो, वो थी जिसको सताने में भी मज़ा था।

वो, वो थी जिससे घर में रौनक़ थी,
वो, वो थी जिससे घर में खुशियाँ थी।

नहीं है वो आज तो, ख़लती है मुझे कमी उसकी,
नहीं है वो आज तो, आती है मुझे याद उसकी।

महीनों से बंद उसके कमरे में, ख़ुशबू आज भी क़ैद है उसकी।
काश किसी तरह उसे बता पाता, याद बहुत मुझे आती है उसकी।

उसके लौट कर आने की तो, नहीं है अब कोई आस,
फिर भी लगता है मानो, है वो यहीं कहीं आस पास।

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