QUOTES ON #खिड़की

#खिड़की quotes

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8 MAY 2019 AT 2:26

फूड डिलीवरी का इंतज़ार करते
महानगर की बारिश में कुछ बच्चे
अक्सर रात की भूख में
खिड़की से झांकता चांद रोटी समझ
दूध की कटोरी में डाल
खा जाया करते होंगे.

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15 JUN 2020 AT 8:16

खुद को तकलीफ देकर तेज धूप में जाना बंद हो,
जो छत पर रोज तेरा बालों का यूँ सुखाना बंद हो|

तेरी झलक को खड़ा रहता गली के नुक्कड़ पर
हो आसमाँ में चाँद, पर अमावस की रात बंद हो!

घूरती है लोगो की बदकार निगाहें सरेराह तुमको
नहीं है बर्दाश्त, तेरे दुपट्टे की गुस्ताखियां बंद हो!

एक शिकायत है तुम्हारी सहेलियों की, समझा दो,
नश्तर सी चुभती, देख मुझे उनका मुस्कराना बंद हो!

साइकिल की चेन तेरे घर के सामने ही बिगड़ती है,
करना है दीदार, खिड़की का परदा गिराना बंद हो!

काफी हो चुका लिख लिख के यूँ मोहब्बत जताना,
रूबरु मिलो, किताबों में चिट्ठियां रखना अब बंद हो!

आखरी वक़्त तेरा फैसला झटके से मुल्तवी करना,
"राज" बाबा हैं घर पे अभी...तेरा यह बहाना बंद हो!
_राज सोनी

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4 JAN 2019 AT 2:51

बाहर काम पर जाती हुई स्त्री के भीतर बसता है एक घर. निकल तो जाती है सुबह की हड़बड़ी में पर आंखें झांकती रहती हैं खुद के मन की खिड़की...अाई ने बच्चे को समय पर शीशी दी तो होगी न...जाने इनकी जुराबें कहां रख छोड़ी हैं...जल्दी में अपना लंच भूल अाई तो मौक़ा मिल गया पूरी खिड़की खोलकर उसमें देखने का...
बाहर जाती हुई स्त्री बहाव जीती है...समय चलती है. मगर बंद रहती है अक्सर.

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24 APR 2019 AT 1:07

आज भी जागता रहता है दिल
तुम सो जाते हो गहरी नींद में
पर तुम्हे अंदाज़ा भी नही
हम कितनी रातो से सोये नही
बस जागता रहता है दिल...

रातो में तन्हाई के ये पल
काटने मुश्किल हो जाते है
ना जाने क्यों सो कर भी
जागता रहता है दिल.....

रोज रातो को खिड़की के पास बैठ जाते है
आंखे बंद कर चांद तारों की दुनिया मे खो जाते है
तरसते रहते है हम सुकून के लिए
फिर भी जागता रहता है दिल.....
जाने किस दस्तूर के लिए

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6 JAN 2020 AT 14:28

उसके कंधे पर सर और यादों का घाटा नफा
धीमा संगीत और वो आती ठंडी हवा
मेरे हर सफर की मुसाफ़िर
बिन शब्दों के जिससे होती है बातचीत

सुकून है वो खिड़की वाली सीट❤

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1 MAY 2021 AT 15:55

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9 FEB 2022 AT 23:40

कोई नही आएगा उस दरवाजे से अब 'अभय'
वो तेरा प्रेम आज भी बस खिड़की निहारता है— % &

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25 AUG 2018 AT 7:06

भीगे हैं खिड़की के शीशे
भीगा है मन भी मेरा
लगता है बारिश हुई थी कल रात
बाहर भी
और अंदर भी

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13 MAY 2017 AT 8:09

कामयाबी का दरवाजा काबिल खटखटाता रहा
नाकाबिल आरक्षण की खिड़की से उसे पटाता रहा

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