अभी तो मोहब्बत की
शुरू हुई थी दास्ताँ और तुम चल दिए कहाँ ..
अभी तो मौसम था मेहरबाँ
और तुम चल दिए कहाँ ..
अभी तो तुम्हारे स्पर्श से
मैं खिल उठी थी
महक उठी थी मैं जो अब तक कली थी
अभी ही तो था हवाओं ने रुख अपना बदला
और तुम चल दिये कहाँ ..
अभी तो इस दिल ने था
तुझको पाया
अभी था मोहब्बत को मैंने आजमाया
रंगो से भरे सपने थे
आँखों में सजे
अभी था मोहब्बत का समाँ
और तुम चल दिये कहाँ ..
आ जाओ लौटकर
कहता है दिल
बड़ी मुश्किलों से संभालता है दिल
आ जाओ की ख्वाहिशें अधूरी हैं सब
कहीं छोड़ दूँ ना मैं ये जहाँ
और तुम चल दिए कहाँ ...
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