तो सब तेरी खातिर कर जाउँ ना हो परवाह दुनिया की न कभी खुद की ।। तेरे लिए दुनिया से लड़ जाऊँ कर दूँ कुरबान अपनी खुशियों को जो जो कभी बने तेरे दुखो का कारण खुशी से लगा लूं गले अपनी मौत को जो कभी बीच तेरी खुशियों के आऊँ ।।
दिया तो रोज़ जलता हैं...., उजाले की किरण खातिर। अँधेरा भागता जाता,,,,,,,,, दिये की दोस्ती खातिर....। मिट्टी से कुछ सबक ले लो, मिरी तुम दोस्ती खातिर....।