Monika Agrawal 10 MAR 2017 AT 17:59 ख़रीदकर,,,बेचा जा रहा था मुझे,आज,एक रंगबिरंगे,मेले में,खरीददार भी,मेरे,बड़े पारखी निकल रहे थे,उछालकर,,टटोलकर,,फ़िर मुझे वहीं,जमीं पर,रख रहे थे। - Veerendra Krishna 14 MAY 2020 AT 11:00 अब कोई भी पार्टी MLA खरीदकर सरकार नहीं बनाएगी,आत्मनिर्भरता की तरफ एक कदम बढ़ाएगी। |veer - Pushpendra Sahu 6 MAY 2020 AT 13:20 आज पता चला : *शराबी तो दिव्यात्मा हैं* जब फ्री में पीते हैं तो सरकार बदल देते हैं और जब खरीदकर पीते हैं तो अर्थव्यवस्था 😊 - Satish Pardhan 24 DEC 2017 AT 20:39 हमारी तो ज़िंदगी भी गजल बन गयी सोचा बाजार में ही लजाऊ सोचा कोई खरीद लेगा -