गुजरे वक्त की यादों का नशा रहता है
अधूरे रह गये वादों का नशा रहता है
मुझको जाम की जरूरत नही पड़ती साकी
मुझको तो उनकी बातों का नशा रहता है
हर नशे पर भारी बाखुदा आँखें हैं उनकी
एक उम्र बाद भी मुलाकातों का नशा रहता है
सोचकर, उन्हें भी ये चांद वहां तकता होगा
भीगी, सर्द, तन्हा, स्याह रातों का नशा रहता है
वो और होंगे जीत की ख्वाहिशें रखने वाले
हमको उनसे मिली मातों का नशा रहता है
फ़लक ये चूमता है जमीं को जहां पर
सुनते हैं वहां, दिन पर रातों का नशा रहता है!
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