QUOTES ON #क्रांति

#क्रांति quotes

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13 APR 2020 AT 7:59

हम लड़ेंगे साथी, उदास मौसम के लिए
हम लड़ेंगे साथी, ग़ुलाम इच्छाओं के लिए
हम लड़ेंगे जब तक
दुनिया में लड़ने की ज़रूरत बाक़ी है

क़त्ल हुए जज़्बों की क़सम खाकर
बुझी हुई नज़रों की क़सम खाकर
हाथों पर पड़े घट्टों की क़सम खाकर
हम लड़ेंगे साथी

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11 SEP 2020 AT 13:12

फूल शाख़ों पे खिलने लगे तुम कहो
जाम रिंदों को मिलने लगे तुम कहो
चाक सीनों के सिलने लगे तुम कहो
इस खुले झूट को ज़ेहन की लूट को
मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता

( तुम कहते हो! शाख़ों पे फूल आ गए हैं, पीने वालों को जाम मिल गए हैं, फटे सीनों के घाव सिल दिए गए हैं
तुम्हारी इस बकवास को मैं नहीं मानता, मैं नहीं जानता
इस सफेद झूट को, ज़ेहन ( दिमाग ) की लूट को
मैं नहीं मानता, मैं नहीं जानता )

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28 APR 2021 AT 11:35

"त्रासदीयां" ही "क्रान्तियां" को "जन्म" देती है..!!
:--स्तुति

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13 MAR 2020 AT 22:17

समय के पालने में जब
अंगड़ाई लेकर जागती है
कोई कविता, तब
समूचा विश्व ठहर कर देखता है
एक नई क्रांति की शुरुआत को...

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10 JUL 2020 AT 14:31

लोग दबाना चाहते हैं आवाज़ मेरी
मै रास्ता नया इज़ाद करती हूं,

अपने शब्दों मे अंगार भर
मै क्रांति बेहिसाब लिखती हूं।

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5 SEP 2020 AT 23:45

उठो संभालो देश को फिर इतिहास ना काला दोहराओ
स्वार्थ लोभ के कारण फिर से देश नहीं बेच खाओ।

(सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक मेे 👇)

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29 NOV 2021 AT 18:14

आज के समय में किसी पदासीन अधिकारी का ईमानदार होना भी किसी क्रांति से कम नही है। वो बेईमानो और भ्रष्टचारियों के बीच क्रांति की मशाल लिए हुए खड़ा एक क्रांतिकारी है।

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21 MAR 2021 AT 22:03

"क्रांति का अधिकार" भी आज के दौर में
सत्ताधारी को ही है, चाहे वो पक्ष के हो या विपक्ष के,
क्यूंकि आजाद देश में भी पीड़ितों के क्रांति को,
"क्रांति" नहीं, "देशद्रोह" माना जाता है..!!!!

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हम न डरते हालतों से हमको क्या ये चूर करेंगे
चाहे आँधी हो या तूफां हम सबको मजबूर करेंगे

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11 JUN 2017 AT 22:14

कहीं किसान मर रहा है, कहीं जवान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिन्दुस्तान मर रहा है

बुझ रहे हैं दीप देखो, लौ नहीं है बाती में
चला रहे कुदाल बेटे, भारत माँ की छाती में
मासूमों की चीख, कर रहे सब अनसुना
जन्म ले रहे हैं दानव, मानव की प्रजाति में

जानवर की खातिर, इंसान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है

केसरी...सफ़ेद....या हो हरा
हर रंग एक दूसरे से है डरा
दूध की नदी बहा करती थी जहाँ
खून से रंगी हुई है, आज वो धरा

कब्र डर रही है, श्मसान डर रहा है
हिन्दुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है

लेखकों से कर रहे, शांति की बात
साहित्य तो करता रहा है, क्रांति की बात
लिखता हूँ जब मैं अशांत होता हूँ
करता हूँ हमेशा, मैं अशांति की बात

शीशों से टकराकर, चट्टान मर रहा है
हिंदुस्तान तेरे हाथों, हिंदुस्तान मर रहा है।

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