हर लो हरि सब दुःख तुम मोरे,
नयन भीगे अश्रु से मोरे,
कोई ना जाने पीड़ा म्हारी,
तेरे लिए मैं दुनिया से हारी,
तुझ संग जो है प्रीत लगाई,
तुझ संग खुद से मिल मैं आई,
दुनिया क्या जाने पीड़ परायी,
छोड़ आई दुनिया की सिखायी,
जब से हूँ तोरी शरण मैं आई,
कान्हा रखना हमेशा चरणों में थारे,
तोरी कृपा परम सुखदायी ।
-