QUOTES ON #कोरा

#कोरा quotes

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16 JUL 2021 AT 23:16

दिन-रात दिखाई देने वाले, चेहरे पहचाने से
नहीं समझ पाती क्यूँ मैं , कुछ अपने अनजाने से ।

पैदा हुए ,बड़े हुए संग संग ,फिर भी समझ ना आए,
साथ पढ़े और खेले कूदे, फिर भी मन ना भाए,
बाहर से कुछ, भीतर से कुछ, दोहरी जिनकी नीति ,
शायद दिल को समझ ना आए, दल बदली सी प्रीति।

जिन्हें प्रेम से गले लगा , रहते हम मनमाने से
समझ नहीं पाती क्यूँ मैं ,कुछ अपने अनजाने से।

दुनिया इतनी सही नहीं है ,मुझे सिखाते रहते ,
खुद के स्वार्थ के चक्कर में,मुझे पढ़ाते रहते,
सीधी मैं भी कभी नहीं थी,खुद मैंने माना था
लेकिन मन की बुरी नहीं हूं, ये भी पहचाना था।

अच्छाई को मेरी ,मुझसे ज्यादा सब जाने थे,
समझ नहीं पाती क्यों में कुछ अपने अनजाने से।


मैंने अपनी सोच समझ,सब कुछ उन पर छोड़ा था ,
शायद मेरा अपना जीवन, अर्पण कर छोड़ा था
रीति समझ दुनिया की पाऊं, इतनी तेज नहीं थी,
नीति समझ नियति की पाऊं, इतनी तेज नहीं थी,

लगी पढ़ाने दुनिया मुझको, जो उसके मन में था,
लगी बताने बात वो सारी,जो उसके मन में था,
दिल की मेरे फिकर जो करता, ऐसा कोई नहीं था,
दुख की मेरे जिकर जो करता, ऐसा कोई नहीं था,
चीख ,मौन में गई बदल सी,लगे वो अपनाने से,
नहीं समझ पाती क्यों मैं ,कुछ अपने अनजाने से।

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8 DEC 2018 AT 2:43

अपना दर्द जिस कोरे कागज़ पर लिखता था
दुश्मनों में अख़बार बन कर बिकता था
जिसे सिखाता दोस्ती के मायने मैं
दोस्त वो दो चार महीने ही टिकता था

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10 MAY 2021 AT 3:10

पस्त-हिम्मत, कोरा दिमाग़ है..
कातिब! लगता है तेरे दिन ख़राब है।।

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2 NOV 2019 AT 0:49

तेरे बिन मुझहे एक भी
लमहा गवारा नहीं
यू रुक गई थी सांसे मेरी
अब तेरे बिन जीना
मुझहे गवारा नहीं
हम तेरी आँखो मैं खुद
को देखते हैं इन मैं कोई
और दिखे हमे ये भी
गवारा नहीं
तेरे pyar मैं हम रातो को जागा करते हैं
तुजहे लिखते हैं अपनी शायरी मैं
तुजहे याद ना करे हम
ये भी मुझहे गवारा नहीं
तु zindagi से हार जाए रासतो मैं तु मुझहे chod जाए ये भी मुझहे गवारा नही 😮💕

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2 NOV 2019 AT 15:17

सांस्कार हैं इस मैं एक डोर से
बंदा हैं मेरा परिवार

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3 NOV 2019 AT 0:28

मैं इस कदर आप
इस दिल की आदत बन चुकी हैं
फ़रयाद आती हे तेरी रूह मैं मिल
जाने की पर ये ज़ुबा हे जो
शरमाती हे ये कहने से भी

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2 NOV 2019 AT 15:40

तुम्हें खुद से ज्यादा चाहा हैं
खुदा जानता हैं सभी

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23 DEC 2022 AT 9:05

जो शै न ही अपनी,न ही पराई हुई,हक अपना उस पे जताते नहीं।
हकीकत से वास्ता ना हो कोसों तक,ख्वाब हम ऐसे सजाते नहीं।

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7 DEC 2018 AT 18:35

दिन भर हूँ लिखता कोरे कागज़ पर

पर अब भी हूँ ख़ाली, कोरे कागज़ सा

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25 OCT 2018 AT 21:41

तुम कागज़, मैं कलम


बिन कलम, कागज कोरा
बिन कागज, कलम अकेली

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