QUOTES ON #कैनवास

#कैनवास quotes

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26 AUG 2018 AT 6:43

आज के कैनवास पर
कल के छींटे पड़े हैं
उन्हीं से बना रहा हूँ
मैं कल की तस्वीर

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3 AUG 2018 AT 5:35

कूची है
कैनवास है
मगर रंग नहीं

कलम है
कागज है
मगर शब्द नहीं

मैं हूँ
तुम हो
मगर प्रेम नहीं

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31 MAY 2018 AT 20:36

कैनवास पर जब उकेरा कोई चित्र, तस्वीर बस तेरी बन जाती है,
लगता है मुझसे ज्यादा, मेरे ब्रश, मेरे रंगों को तू भाती है..!

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7 APR 2018 AT 15:05

तुम जो हो तो
रंगीन है सारे नजारे...
जैसे कैनवस पर बिखरे रंग
जी रहे हो ज़िन्दगी के एहसास प्यारे...

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31 DEC 2022 AT 11:24


एक दिन मैंने माँ से पूछा,क्या होते हैं इंसान के खुशी और दर्द के कारण,
माँ ने कुछ देर सोचा,फिर माँ ले गयीं मुझे एक खिलौने की दुकान पर,
और माँ ने कहा अपने लिए ले लो एक खिलौना चुन कर।

जो खिलौना मैंने चुना था माँ ने लिए वैसे हीं दो खिलौने,
एक खिलौना मुझे दिया दूसरा खिलौना अपने पास रखा संभाल कर।
बडा हीं खुश हुआ मैं इतना खूबसूरत खिलौना पाकर।

दूसरे दिन जो खिलौना माँ के पास था,
माँ के हाथ से छूट गया और टूट कर गया बिखर।

तीसरे दिन मेरा खिलौना भी टूट गया माँ के हाथों से,
बडा हीं दुःख हुआ मुझे अपने खिलौने की हालत देखकर।

तभी माँ आई मेरे पास और बोलीं मुझसे मुस्कुरा कर,
इंसान जब जोड़ लेता हैं अपना संबंध किसी व्यक्ति, वस्तु या बात से,
उससे बिछडना या उसका अभाव होना ही बनता हैं उसके दुःख का कारण अक्सर।

देखिये, कल वैसा हीं खिलौना टूटा तों कोई फर्क नहीं पडा आपको,
क्योंकि उससे आपने माना नहीं था उससे अपना कोई संबध,
आज हो रहा हैं दुःख आपको क्योंकि आपने इस खिलोने से माना था अपना संबंध।
इस तरह माँ ने ज्ञान का एक और रंग भरा, मेरे मन के कैनवास पर।
Nitin Sonu

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28 DEC 2022 AT 23:16

मैंने तुम्हारी तस्वीर बनाई है
मोहब्बत और वफ़ा का रंग मिलाई है
बंद कर आँखों को तुम्हें महसूस कर लेते हैं
तुम्हारी तस्वीर से अक्सर बातें कर लिया करतें हैं
मन के कैनवास पर...

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5 JUN 2017 AT 19:20

धरती के कैनवास पर
हरे भरे चित्र बनायें
आओ पेड़ लगायें
पेड़ों को मित्र बनायें

प्रदूषित पर्यावरण को
फिर से पवित्र बनायें
आओ पेड़ लगायें
पेड़ों को मित्र बनायें

महक उठे ये धरती
ऐसा इत्र बनायें
आओ पेड़ लगायें
पेड़ो को मित्र बनायें

वन में ही जीवन है
ऐसा चरित्र बनायें
आओ पेड़ लगायें
पेड़ों को मित्र बनायें

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24 NOV 2017 AT 9:28


कागज़ के कैनवास पर

तमाम रंगों से

शब्दों को बिखेरना

मानो खुद को समेटना

Anupama jha














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3 MAR 2019 AT 10:39

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रिश्तों के माला में मुझको
फूल पिरोना आ गया।
निकल गए जो मुझसे आगे
उनसे कदम मिलना आ गया।
बिखर गए थे हाथों में आकर
उन्हें समेटना आ गया ।
राहों को आसान करने को
ख़ुद से लड़ना आ गया।
जीवन के इस कैनवास में मुझको
रंग भरना आ गया।

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4 JUL 2021 AT 22:59

अश्रु डूबी तूलिका से
कैनवास पर आड़ी तिरछी
रेखा जब भी खिंच जाती है
तस्वीर तेरी ही बन जाती है
विरह वेदना के रंग अंतस के
तस्वीर में तेरी उभर आते है
इन रंगों के मिलने से हम
फिर से एकाकार हो जाते है

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