एक दिन मैंने माँ से पूछा,क्या होते हैं इंसान के खुशी और दर्द के कारण,
माँ ने कुछ देर सोचा,फिर माँ ले गयीं मुझे एक खिलौने की दुकान पर,
और माँ ने कहा अपने लिए ले लो एक खिलौना चुन कर।
जो खिलौना मैंने चुना था माँ ने लिए वैसे हीं दो खिलौने,
एक खिलौना मुझे दिया दूसरा खिलौना अपने पास रखा संभाल कर।
बडा हीं खुश हुआ मैं इतना खूबसूरत खिलौना पाकर।
दूसरे दिन जो खिलौना माँ के पास था,
माँ के हाथ से छूट गया और टूट कर गया बिखर।
तीसरे दिन मेरा खिलौना भी टूट गया माँ के हाथों से,
बडा हीं दुःख हुआ मुझे अपने खिलौने की हालत देखकर।
तभी माँ आई मेरे पास और बोलीं मुझसे मुस्कुरा कर,
इंसान जब जोड़ लेता हैं अपना संबंध किसी व्यक्ति, वस्तु या बात से,
उससे बिछडना या उसका अभाव होना ही बनता हैं उसके दुःख का कारण अक्सर।
देखिये, कल वैसा हीं खिलौना टूटा तों कोई फर्क नहीं पडा आपको,
क्योंकि उससे आपने माना नहीं था उससे अपना कोई संबध,
आज हो रहा हैं दुःख आपको क्योंकि आपने इस खिलोने से माना था अपना संबंध।
इस तरह माँ ने ज्ञान का एक और रंग भरा, मेरे मन के कैनवास पर।
Nitin Sonu
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