बातों बातों में तुमको, एक बात बताना भूल गए
कैसे गुजरी तुम बिन ,वो रात बताना भूल गए।
एक रात सपने में तुमने, मुझको राधा बोला था
बातों बातों में हम तुमको, कृष्णा कहना भूल गए ।
उलझे उलझे बादल ने जब, नीर गगन से फेंका था
तुम संग भीगी मेरी चुनरिया, यह बताना भूल गए।
छत पर ठंडी रातों ने, तुमसे मिलन कराया था
बातों बातों में हम प्रीतम ,तुमको छूना भूल गए।।
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