QUOTES ON #कृत्रिम

#कृत्रिम quotes

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22 DEC 2021 AT 20:11

लड़कि है तू मोम की गुड़िया नही
हा माना कि;
जरा सी चोट पर तेरी आह निकल जाती है
रो रो कर अपने आखें सूजाती है
खूब नखरे भी दिखाती है

हा माना कि;
तेरा शरिर थोड़ा सा कमजोर है
पर तू मानसिकता से कमजोर नही

हाँ चल उठ अब इतिहास बदल
अपने जिम्मेदारीयों को उठा
उसे यूँ ना कृत्रिम बेवसियों मे छिपा
चाहे जिम्मेदारी माँ-बाप की हो
या स्वरचनात्मक भविष्य की जिम्मेदारी हो
उसमे भी तू अपना जोर लगा
समाज के कटरपंथी धारनाओं पर
अपने सफलता और उज्वलकर्मों से रोक लगा

हाँ तू लड़की है पर मोम की गूड़िया नही
घूंघट की चादर से जिम्मेदारीयों की लौह से
खूद को अब और ना छिपा
अपने अस्तित्व को मजबूत बना
अपने कर्मों को बखूवी निभा
लोक-कथाओं को अब तू मिथ्या बना
हाँ खूद को मजबूत बना,
हाँ अब खूद को यूँ ना मोम बना
kavita

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14 JUL 2020 AT 0:30

मैं विश्वास करती हूँ
प्राकृतिक का !!
उन मतों से ज्यादा
जो कृत्रिम चीजों को
बढ़ावा देती हुये कहते है
"प्राकृतिक का कोई भरोसा नही"

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5 FEB 2023 AT 22:52

नही है अमराइयों के कानन
बसती हूँ कंक्रीटों के जंगलों में
तोड़ कर सारी वर्जनाये
फिर
पुकारो मुझे
नाम लो मेरा
कि गूँजे यह धरा

नही है सूरज की रोशनी
रहती हूँ कृत्रिम प्रकाशों में
भेद कर आकाश की तनहाइयों को
फिर
निहारो मुझे
कि चमके नैनो के जुगनू

नही बरसता रिमझिम सावन
जीती हूँ शुष्क प्रभंजन में
बरसा कर प्रेम फुहारें
फिर
आर्द्र कर दो मुझे
कि पुलकित हो काया का रोम रोम

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10 OCT 2020 AT 7:24

अपनी प्रकृति को बदलो, पर ना बदलो जो ये प्रकृति हैं,
अपने कृत्रिम स्वार्थ की खातिर, ना उजाड़ो जो प्राकृतिक हैं।

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5 NOV 2020 AT 20:56

जरूरत है उसे कृत्रिम साँसों की।

पर उसके शुभचिंतक खींच रहे हैं उसका ऑक्सिजन मास्क।

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9 DEC 2020 AT 21:55

नम्रता, आभार ज़्यादा दिन नहीं चलता
कृत्रिम सा व्यवहार ज़्यादा दिन नहीं चलता
कोई कितने ही लगा ले चेहरे पर चेहरे
नकली ये किरदार ज़्यादा दिन नहीं चलता

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21 JUL 2019 AT 1:18

प्रीत कृत्रिम हो भी
तो भी उपज जाती है
कभी न कभी
जीवंत, लहलहाती

फिर उसे काटना असंभव है

जड़ें नहीं मिलेंगी

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5 DEC 2019 AT 21:41

अब
कृत्रिम प्रकाश से रौशन अब l
सांध्य दीप जलते कहाँ अब ll
बुजुर्गो की तजरबा सुनते कब l

तहजीब शालीनता सीखते कैसे अब l
श्रेष्ठ शील नमन नीत मिलते कैसे अब l
आदत लिन सर्वस्व मोबाइल जैसे अब l
घर घर नहीं रहे अब l

चंदा मामा की कहानी होते कहाँ अब l
दादी नानी की कहानी कैसे सुने जाये अब l
सब मिलते मोबाइल पर आधुनिक युग अब l
टीवी प्रसारण पर मिलते सब घर घर नहीं रहे अब l

दास्तान आज की तनाव तृष्णा मति होते अवरोध अब l
नीत तृष्णा मे बंधु से होते विवाद अब l
कृति सच कि गीता ज्ञान शांति मार्ग सरल दूर अब l
धन अपार मनहर रूप की प्रयास अब l
घर घर नहीं रहे अब l

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18 MAY 2020 AT 9:16

प्रेम एक गहन विषय है जिस पर विभिन्न प्रकार से शोध हुए होते रहते हैं पर अधिकांशतः अगर हम इसकी पुष्टि स्पष्टीकरण करें तो लोग हमेशा इसे अधूरा ही छोड़ जाते हैं। इसकी वैचारिक व व्यावहारिक उपलब्धता बहुत कम लोगों में ही मालूम होती दिखती है। और जिसे आप देख रहे हैं वह सिर्फ एक कृत्रिम बनावट है जो एक समय के बाद स्थानांतरित होती रहती है ।✍️✍️

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5 FEB 2021 AT 13:48


जो अप्रतिम था...!
मेरे लिए ख़ास पर
तेरे लिए अंतिम था
तेरी होकर गर्वित थी
कि तू मेरा हाक़िम था
जो भी था अब नहीं,
क्योंकि सम्वेदनाओं
का मेल कृत्रिम था।
जया सिंह 🌺





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