है वो एक ऐसी मुसलमाँ,
जो सिर पर अपने,
हिजाब नहीं पहनती है।
तारीखें आती है उसकी तो,
दर्द थोड़ा-सा भूलने के लिए,
वो मस्जिद चली जाती है।
बाहर न जाने कितनी बेड़ियां है,
लेकिन वो उन्हें,
अपने अंदर न आने देती है।
हाँ वो एक ऐसी मुसलमाँ है,
जो खुलेआम,छोटी सोच तले,
जींस पहनती है।
सारी किताब कुरान की,
रट डाली उसने,
और लोग कहते है की उसने,
कभी कुरान नहीं देखी है।
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