हाँ,...कुछ रिश्ते....जीवन में,ऐसे भी होते हैं...जिनमें होता है,
वो अपनापन....जो नहीं होता है..कभी कभी,अपनों में भी,
अपने आप बन जाता है...उनसे कोई खास रिश्ता,
नहीं देना होता उसे.....कोई भी खास नाम,
जरूरी नहीं होता और..कभी कभी मुमकिन भी नहीं होता,
उनसे कभी मिल पाना,
जरूरी होता है बस....उन्हें महसूस करना...
मीलों दूर होते हुए भी....आपके नजदीक होना,
जरूरी नहीं वो जरूरत हों….पर जरूरत में जरूर हों,
नहीं होती उनसे कोई उम्मीदें,
बस उनका साथ होना ही, दे जाता है जीवन में कई उम्मीदें....
वो एक शख्स,
जो मिलों दूर बैठे भी...समझ लेता है,
आपके अल्फ़ाज़ में छुपी उदासी,
उसका बस यह कहना भी,
"सब ठीक हो जाएगा एक दिन"
दे जाता है आपको सुकूँ,
जिसका चेहरा देख...आ जाती है आपके चेहरे पर चमक,
उसके चेहरे की हंसी...बन जाती है...आपके चेहरे की मुस्कान,
उसका एक अश्क़ भी....आपको कर देता है....बहुत बेचैन और परेशान,
हाँ, कभी कभी ऐसा भी होता है कि,
नहीं जानते होंगे आप उसे...और जानना भी न चाहें,
मिले भी ना हों कभी उससे...और शायद मिलना भी ना चाहें,
वो बस सुकूँ होता है,
जिसे आप बस महूसस करना चाहते हैं,
हमेशा अपने आस पास,
उसकी खुशी में, उसकी मर्जी में...❤
-