QUOTES ON #कुछख्यालयूँहीं

#कुछख्यालयूँहीं quotes

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ना किसी का प्यार
ना कोई यहां प्यारा हैं
ये वहम निकाल दो
ख्याल से ........

इक जिंदगी मिली हैं
बड़ी सिद्दत से
मुझको बस वहीं गवारा‌ हैं!

वैसे तो किसी से खास बनती
नहीं हैं, अपनी
यहां ना कोई अपना ना
कोई पराया है!

हालात-वालात क्या पुछना
हो सकें तो नज़र भर देख लो
बड़ी बखुबी से खुद को संवारा है!

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दौर शुरूवाती, मुलाकात भी जज़्बाती था
सफ़ेद रंग भी लगने लगा रंगीन था!

जो बीत रहा लम्हा कैमरे में सब क़ैद था
बिना महफ़िल ही शामें हंसीन था!

ठहरा रहे पल, लौट जाने से मन बेचैन था
चेहरे पर उदासी और समां गम़गीन था!



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3 APR 2020 AT 8:40

सुनों ना.....
फुर्सत हो चली है लम्बी
चलो...
चाय की प्यालियों में
कुछ वक्त घोलते हैं
भूलें है चेहरे,जो अरसे से
उन्हें
कुछ फुर्सत के पल देते हैं...!

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31 JUL 2019 AT 10:02

कर जाओ कुछ ऐसा कि लोग यूं ना भूला न पाएं,
कर गुजरों कुछ ऐसा कि लोगों को तू भी याद आएं ।

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जब पलक नींद से बोझिल हो,
पर आंख झपकना मुश्किल हो..
जब दर्द से दामन भारी हो,
फिर भी ख्वाबों से यारी हो..
जब बादल थोड़ा छलक उठे,
और आंखें मलकर फलक उठे..
जब रात में जरा उदासी हो,
और चुप्पी अच्छी खासी हो..
अपनी पायल को नींद दिला,
और दबे पाँव ख्वाबों में आ..
मुझसे कुछ कह जाना तुम,
कुछ देर जरा रह जाना तुम

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19 JUN 2020 AT 9:53

आंखें खुलते ही लोग नाटक शुरु कर देते हैं यहां
तेरे शहर में तो कलाकार बहुत हैं

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31 JUL 2020 AT 23:01

अरे!! नींद कैसे आ जाती है,
उन लोगो को साहब!!
जो घर में 'करोड़ो' रुपए लगा देते है..
अगर.. उनमे से 'थोड़ा' सा भी
किसी "गरीब" पर लगाये,
किसी 'भूखे' को प्यार से खिलाये..
तो शायद!! वो भी कुछ पल चैन से 'सो' पाये।

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6 FEB 2019 AT 0:40

सुनो।

मयखाने का मदिरा चखकर भी,
प्यासे लौटे हो क्या कभी।
मिलाकर नजर से नजर दिलबर की,
अकेले में टूटे हो क्या कभी?

रिवाज़ है यहाँ "रिवायत" को
सच मान लेने की।
गैरों की बात पर फिर,
अपनों से रूठे हो क्या कभी?

थक गये लब मजलिस में,
गैरों की मुस्कुराते-मुस्कुराते।
पर सामने "अपनों" के, एहसासों के जायज़ रंग
तुम उकेरे हो क्या कभी?

बीतता उम्र का हर पड़ाव,
"दिखावे" का रंग गहरा करता रहा।
चलो बताओ, "वास्तविक" आईने के सामने भी,
तुम अब होते हो क्या कभी?

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11 FEB AT 15:26

कई कविता आज भी अधूरे हैं मेरे.....
ताकि वो समझ सके की
पूरा होने की आस में तड़पने की पीड़ा क्या होती हैं।

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3 SEP 2018 AT 21:26

भ्रम के अंधेरों में पनाहें लेती है।
ये रूहें विचलित मन पर राज करती हैं।।

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