कुछ इस दौर में है ज़िन्दगी आजकल
जैसे ज़िन्दगी को नई सूरत मिल गयी हो।
सब कुछ बदला बदला सा है,
वक़्त जैसे थम सा गया है।
रोज की भागदौड़ से परे,
खुद के साथ वक़्त बिताना
गुज़रे सालों से हो कर,
यादों की गलियों में आना
जाने अब अच्छा लगता है
पंछी उड़ चले घोंसलों से
आशियाना अपना खाली सा है
ये लिखना लिखाना,पढ़ना पढ़ाना
दिल लगाने का बहाना सा है
दूर चाँद को निहारना
अक्सर फूलों को ताकना
प्रकृति की हर चीज़ को सराहना
अब अच्छा लगता है
बहुत मर लिए सबकी ख़ातिर
अब खुद के लिए जीना
अच्छा लगता है ।।
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