EK SACH...
इंसान कितना मजबूर होता हैं,
कुछ रिश्तों को बचाने के लिए।।
फिर भी इतना नासमझ क्यों होता हैं,
जब चाहे उसे तोड़ कर चले जाते हैं,
जब चाहे उसे छोड़ कर चले जाते हैं।।
बहुत नाजुक सा होता है, यह रिश्ता,
जिसमें खुश तो रहते हैं,
लेकिन अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं।।
कोमल सा होता है, इंसान का दिल,
टूटने में देर नहीं लगता,
बस कमजोर सा ही रहता हैं।।
अब क्या करें, इस दिल का,
बेजुबान सा है, यह दिल।।
चखनाचूर हो ही जाता हैं।।
बस हो ही जाता हैं!!😔😔😔
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