QUOTES ON #कुछ_पंक्तियां

#कुछ_पंक्तियां quotes

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28 JUN 2019 AT 11:35

कुछ शब्द
दफन रहते हैं दीवारों में
बारिशों में सीलन सा उभर आते हैं

कुछ शब्द
गहरे पैठ जाते हैं धरा में
दीर्घावधिक में अंकुरित हो
बढ़ते चले जाते हैं

कुछ शब्द
मद्धिम से रहते हैं प्रेम में भी
और इंतज़ार को ओढ़े गहन हो जाते हैं

कुछ शब्द
आवाज़ का लोप कर देते हैं
होंठों की जुंबिश प्रार्थना में बदल जाती है

हर शब्द
कानों तक नहीं पहुँच पाते हैं

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18 MAR 2020 AT 8:01

मेरे संग काफिला तो है, लेकिन तन्हा खड़े है हम ।
मंजिल की होड़ में हमने भी रखे है, चार कदम,,


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14 OCT 2018 AT 11:55

कैसे छोड़ दु उन बातों को
कैसे न छेड़ूँ जज्बातों को
वो सारे लम्हे मेरी जिंदगानी हैं
तेरी मेरी बस यही कहानी है!!

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30 JUN 2018 AT 8:04

असर कोई ना कोई, हर किसी पर खास रखता है।
कोई आँखों में सूरज तो कोई होंठों पर चाँद रखता है।।

है पता कि ये गुलाब की नयी पत्तियों में खुशबू लाजवाब है।
पर पुराना एक पत्ता भी देखो रंग बेमिशाल रखता है।।

बख़ूबी निभाता किरदार पर यकीन से महरूम है।
हर रिश्ता कुछ यहाँ छुपाये, दिल में बात रखता है।।

हाथ थामे करता है पूरा,मिलों का सफर "मौन" से।
ना ये कुछ बोलता है, ना वो भी कोई राज़ खोलता है।।

प्रतिद्वंदी सी है साँसें यहां कि वक़्त हर बेरहम है।
कोई घुट-घुटकर जीता है कि कोई जिंदगी को घुटन का नाम देता है।।

ये इंसान है "कलश" कि करता बहुत संवाद है।
चुप रहने के अपने अंदर पर गुण "कमाल" रखता है।।

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छोड़ो उन वादों को..
मत छेड़ों मेरे यादों को..
भूल जाओ उन बातों को..
वो मेरी ज़िंदगी का महज़ हिस्सा नहीं,
मेरी ज़िन्दगी का एक मशहूर किस्सा हैं।।

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11 APR 2020 AT 14:00

तारीख बदलने से कुछ नहीं होता
खुद को बदलना पड़ता है,
चांद को छूने के लिए
सितारों से बी लड़ना पड़ता है....

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25 MAR 2019 AT 14:48

दुनिया के सामने कुछ और

हैं हम

और आईने के सामने कुछ और ।।

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26 MAY 2018 AT 10:49

क्या रिश्ता क्या नाता बिन गुरू जीवन में कुछ ना आता!
मेरे गुरू में मुझको भगवान दिखते हैं !
जो सोंचता हूँ मैं मन में वो गुरू ज़ी अपने स्वरों से बयां करते हैं !
किस्मत को अपनी कुछ यूं सजाना हैं !
जो सिखाया हैं गुरू ने मेरे अब बस वही करके दिखाना हैं !
शिष्यों में उनके अपना भी नाम आयें जिसे जानें सारी दुनियां कुछ ऐसा मुकाम पायें !
गुरू जीवन में बस इतना ही चाहता हैं !
शिष्य मेरा कामयाब हों बस इतना हीं सोंचता जाता हैं !
बस इन्हीं शब्दों के साथ गुरू चरणों में अभिनंदन हैं !
कर जाऊँ कुछ ख़ास बस यही ज़िंदगी का मक़सद हैं !
क्यूंकि गुरू बिन और कुछ ना मुझे भाता बिन गुरू जीवन में कुछ भी ना आता !

॥ कुछ लाइनें अपने गुरू के लिये ॥

॥ अभिषेक शुक्ला ॥ ..

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24 FEB 2021 AT 19:20

जब से तु चला गया
दर दर भटक रही हूँ
तेरे ही अक्श़ को
हर एक शख्स में ढुंढ़ रही हूँ

शायद तभी
हर पल तुझे
भूलने की तलब़ में
ख़ु़द से ही म़रहुम़ हो रही हूँ...!!

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3 APR 2019 AT 14:05

कुछ टूटा टूटा लगता हूँ,
कुछ तन्हा तन्हा लगता हूँ,,

पर क्यों आती हो ख्वाबों में,
अब मैं क्या तेरा लगता हूँ,

दूर दूर तक राह नही,,
इक अंधा सहरा लगता हूँ,
(सहरा - जंगल)
हर इक सपना टूटा जबसे,
खुद सपना झूठा लगता हूँ,

कभी झील सा गहरा होता है,
अब कुआं अंधा लगता हूँ,

देख आईना भी चीख़ उठा,
अब मै कैसा लगता हूँ,

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