QUOTES ON #किनारा

#किनारा quotes

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5 MAR 2018 AT 16:25

कल की तरह आज भी
दिन कुछ यूं निकल गया
सुबह ज़िम्मेदारी के बोझ तले दबे और
शाम को ख़्वाहिशों से किनारा कर लिया

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31 AUG 2020 AT 22:46

प्रेम और ठहराव की खोज का मेरा सफ़र
दरिया पार उस किनारे पर खत्म हुआ

लेकिन दुर्भाग्य रहा कि
तीव्र संकीर्ण धाराओं के बहाव ने
प्रतिबंधित कर दिया मेरे कदमों को

अब संभवतः सदियों बाद कभी
शुद्ध और निर्मल होंगी ये धाराएं
तब तक निरंतर देखूंगी
कतरा-कतरा बदलाव को और
दूर ही से निहारती रहुंगी
इस छोर से....
उस छोर को....

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13 OCT 2020 AT 10:41

भटकती प्यास थी मैं, तुम मिले,
समंदर का एक किनारा मिल गया।
तुम्हें अपनी मंज़िल और मुझे,
भटकने का एक और इशारा मिल गया।

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13 JUL 2020 AT 17:19

ऐ समंदर ,
अपने अंदर उठती लहरों को ,
बता दों !
मैं किनारे पर हूँ ,
ये बात उन्हें समझा दों !

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28 MAY 2018 AT 6:00


फितूर सा इश्क़ दरिये का
गोते खुद में खाये बने फौलाद बवंडर
जहा क़भी समंदर किनारा ढूँढ़ता
क़भी किनारा समंदर

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26 OCT 2019 AT 18:00

अब किनारा कितना भी चाहे पत्थर को पा नहीं सकता था,
पत्थर खुद किसी मूर्ति को आकार देनेमें बिक जो चुका था।

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6 JUN 2020 AT 10:42

छाँव को तरसे रहे किसी दरख़्त का सहारा ना मिला !
शहर तो अपना था पर कोई शनासा हमारा ना मिला !

दरिया ए मौज सर से पाँव तक कब छु के गुजर गई,
खुद में इस कदर उलझे रहे कि किनारा ना मिला !

हर शय को करीब से जब देखा है उसके बाद,
जो आंखों में घुल सके कोई ऐसा नजारा ना मिला !

किसी रहबर की तलाश में मुंतज़िर रहे हैं बरसो,
जो राहगुज़र दिखला सके कोई सितारा ना मिला !

नाशाद है किस बात पर अब खुदा ये 'कवित'
उभारने का इस ओर से कोई इशारा ना मिला !

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8 FEB 2020 AT 23:51

साहिल पर बैठ सोचते हैं ज्यादा मजबूर कौन है ?

ये किनारा जो चल नहीं सकता
या
वो लहर जो ठहर नहीं सकतीं

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26 OCT 2020 AT 11:30

समुंदर वहीं है किनारा कहाँ है
जो लहरें रोके वो सहारा कहाँ है

जहाँ ज़ख़्म हैं दर्द तो लाज़मी है
ये आँसू भी अब बे-सहारा कहाँ है

ये आवाज़ पहचान कर क्या करोगे
मोहब्बत का इसमें इशारा कहाँ है

हिफ़ाज़त बिना क्यों बनोगे मसीहा
अभी दोस्ती ने पुकारा कहाँ है

किसी शहर में तो रहोगे ही 'आरिफ़'
ये सबका हुआ अब तुम्हारा कहाँ है

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29 APR 2021 AT 22:14

ताउम्र गुजार दूं मैं उस शख्स के बिना
गर कोई मुझे उसकी यादों से रिहा कर दे।

और अगर ये मुमकिन नहीं
तो मेरे मर्ज की कोई दवा कर दे।

आज दरिया को किनारे की तलब लगी है
जाओ दरिया से भी कह दो किनारे से किनारा कर ले।

और हर बार कोई मुझपर बंदिश लगा जाता है
जाओ उससे कह दो, पहले खुद को रिहा कर ले।।

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