जो तुम आ जाते एक बार,ज़िन्दगी खिल सी जाती
मुरझाया फूल भी खिल जाता,फिऱ मैं तो अलग बात
सांझ भी रात में बदल जाती,फ़िर वो सांझ सवेरे में
मेरी उल्फ़त का नूर भी खिल जाता,गर तुम आ जाते एक बार
मासूम था मैं मायूस मेरा चेहरा,जब तुझे मैने देखा पहली बार
एतवार तो ख़ुद पर न था,तुझे देखा तो फ़िर खुद को भी भूल गया
जो तुम आ जाते एक बार,मेरी ज़िंदगी खिल सी जाती
मेरी धड़कने महबूब तेरे नाम हो जाती गर तुम आ.....
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