सुकून के दो पल मिलने लगे,
अनोखे रिश्ते पनपने लगे,
अल्फाज़ों के घुंघरू खनक ने लगे,
तस्वीर रूह की उकेर ने लगे,
रंगों के अहसासों से अछूते ना रहे,
कभी मुस्कुराते कभी रोते रहे,
दर्द भरे नग्मो से सहम ने लगे,
जीवन के हर कोने को परखने लगे,
कारवाँ के संग हम भी बंधते चले गए।
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