QUOTES ON #कामकाजी

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"बदचलन फूल" की आत्मकथा

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13 SEP 2020 AT 16:45

✍️"घर की कामकाजी बहू बेटियों को समर्पित"🍇..✍️

🍊...🍇........✍️.......🎈
बेहतर को बेहतरीन बनाने में कसर ज़रा न तुमने छोड़ी।
कष्टों को कर बेअसर, खुशियों को समां में तुमने जोड़ी।
🍎...🍇..🙌..👐
खिल जो गए वो गुल उठ गए, सब सोए बीमार पड़े थे।
उठते ही लड़ बैठे कष्टों से, वहीं बगल में हथियार पड़े थे।
🍏...🍊.......👐.......🎈
आप सभी अच्छी हैं भली हैं तभी तो घर चला है रेल जैसे।
ज़रा भी बिगड़ना उतार देती है रेल पटरी से कर ऐसे तैसे।

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10 NOV 2017 AT 0:43

आप वही कामकाजी गुड्डे हो ना,

जिसको मैं घर-घर के खेल में,
अक्सर कहीं छुपा दिया करती थी ।

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10 JUN 2022 AT 5:08

कुछ लड़कियाँ खोजती हैं
कामकाजी पति
और
कामचलाऊ प्रेमी

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1 JUN 2019 AT 10:28

"ख़्वाब" खरीदने को "नींद" बेच देता हूँ मैं
हर हाल में "अपनों" की ख़ुशी सहेज लेता हूँ मैं....

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2 AUG 2017 AT 6:37

"शीला कितनी बार तुम्हे कहा है कि बच्चे को काम पर लेकर मत आया करो"इतना कहकर स्मिता गुस्से से भनभनाते हुए घर से बाहर चली गयी। लेकिन शीला का मन उदासी से भर गया वह मन ही मन सोचने लगी मैं अपने ग्यारह महीने के बच्चे को किसके पास छोड़ के आया करूँ यही सोचते सोचते शीला पोछा लगाने लगी व उसका छोटा से बच्चा भानी घर के बाहर जाली के दरवाजे से माँ को टकटकी लगाए देखता रहा।यूँ तो स्मिता का बच्चा आर्यन भी एक साल का ही था जब भी वह भानी को देखता नन्हे नन्हे कदमों से जाली के पास चला जाता। फिर दोनों एक दूसरे को देख कर बहुत प्रसन्न होते। साथ में मुस्कराते लेकिन एक जाली के अंदर होता तो दूसरा बाहर। बचपन कहाँ अमीरी गरीबी के भेद को जनता है शायद इसिलिए बच्चों को ईश्वर का रूप कहा जाता है। दोनों जाली से एक दूसरे को छूने का प्रयास करते। और वह जाली सरहद पर लगी कँटीली तारों से कम न लगती।

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21 FEB 2017 AT 14:22

वो फूल तोड़कर लाता था
वो रोज उसे गुलदस्ते में सजाती थी
वो जानती थी कि...
एक दिन उसे भी किसी बगिया से
तोड़कर लाया गया था इसी तरह।
और सजा दिया गया एक सामान की तरह
और शायद जब वो मुरझा जायेगी
तो फेंक दिया जायेगा इन फूलों की तरह
चार दीवारी के किसी कोने में।
हाँ वो फूल ही तो है।
फर्क बस इतना है कि वो औरत है।
एक के लिए पराया धन दूसरे घर के लिए परजीवी है।
फिर भी वे जीव नहीं और न जीवित ही है ।
बस एक मशीन की तरह
शायद एक कृत्रिम फूल की तरह।
या कामकाजी घरेलू उपकरण की तरह।
हाँ वो औरत है।

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11 JUN 2020 AT 7:49

उजाले कामकाजी होते हैं और अँधेरे घोर आलसी
जिन्दगी को जानने की किसी को फुर्सत ही नहीं

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10 JUN 2022 AT 10:56

मगर आज भी कुछ लड़के ढूँढते हैं आत्मनिर्भर एवं वात्सल्य गुण वाली पत्नी..
आत्मनिर्भरता उसके खुद के लिए ताकि कोई अनहोनी होने पर भविष्य की खातिर उसे समझौते न करने पड़ें..

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और कुछ लड़के खोजते हैं,
बेजुबान,
अवैतनिक नौकरानी!

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