QUOTES ON #कलमकार

#कलमकार quotes

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18 MAY 2019 AT 10:05





मैं कोई कलम की कलाकार तो नहीं,
बस लिख लेती हूं मन में विचरते भावों को,
कागज रूपी धरातल पर,

थोड़े से शाब्दिक ज्ञान रूपी हवा से,
तो कुछ लिखने के जुनून रूपी पानी से,
और कविता रुपी यह पौधा देता है मुझे,
अपार सुकूनरुपी ठंडी छांव,

प्रेरित करता है और लेखन रूपी बीजों को,
इस धरा में बीजने पर,
नाम रुपी फल-फूल की चाह नहीं है मुझे,
मैं बस सुकून रुपी ठंडी छावं से खुश हूं,
स्व के इस लेखन रुपी मिजाज से खुश हुँ ।

©मृदुला राजपुरोहित ✍️

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25 JUN 2022 AT 15:09

पिंजरा ले उड़ा परिंदा पंखों में दम था।
शेर तो नहीं पर वो शेर से क्या कम था।
हर इक जंजीर तोड़ दी फतह उन्हीं को मिली,
बुलंद थे इरादे जिनके बाजुओं में दम था।
बारिश में तालियों के मुसलसल भीगते गये,
आवाज दिल से निकली उसकी तहरीर में दम था।
उसके बारे में लोग बहुत बढ़ चढ़कर बोले,
जिसके बारे में सुना ये कि बोलता कम था।
बेइंतेहा भीड़ थी आज जनाजे में उसके,
कल तलक हर मजलूम का जो हमदम था।

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26 MAY 2022 AT 13:36

आग की आंच है,या आहट तेरे कदमों की,
इंतजार खत्म हुआ,काम कुछ बाकी ना रहा।

जिंदगी फिर उसी अंजान मोड़ पर रुकी,
मंजिलें दूर हुई, मुकाम कुछ बाकी ना रहा।

टूटे पत्ते की तरह तैरती रही हवाओं पर,
आंधियां ऐसी चली,अंजाम कुछ बाकी ना रहा।

किस तरह सदा देंगे कभी एक दूजे को हम,
"अजनबी"ऐसे हुए कि नाम कुछ बाकी ना रहा।

तेरी कश्ती, तेरा साहिल, तेरी मौजें, तेरा दरिया
डूबे सागर में कुछ ऐसे कि जाम कुछ बाकी ना रहा।
Chandrakanta

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16 MAY 2022 AT 21:36

एक उम्र से ख्वाहिशें दफ़न हैं सीने में
मगर पलकों पर सजने ख़्वाब रोज़ आते हैं..

बड़ी लंबी है यूँ तो फ़ेहरिस्त तमन्नाओं की
अरमान घुट के खुद में हो के क़त्ल सो जाते हैं..

मान-सम्मान,स्वाभिमान बड़े जाने पहचाने से लफ्ज़ हैं
सहते हैं अपमान और सिकुड़ के छोटे हो जाते हैं..

क्या समझूँ मैं तेरी रफ़ाक़तों को ए ज़िन्दगी
ख़्वाहिश नहीं जीने की फिर भी कायल हो जाते हैं

दायरे बहुत छोटे हैं मेरी दुनिया के साहिब
तुम सारे जमाने के हम तुम तक ही ठहर जाते हैं..
" Raag "

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28 JUL 2021 AT 13:05

मियां आसान नहीं जज्बातों को शब्दों में पिरोना,
दुनिया के तमाम दर्दो को खुद मे जीना पड़ता है।
जीनी पड़ती है, इश्क़ की वो तमाम ऋतुएं,
ढोंनी पड़ती हैं समाज की वो सारी कुरीतियां,
तब जाकर जन्म होता है, किसी कलम का ,
जो मीठे एहसास की कराती है अनुभूति,
जो पीकर कड़वे अनुभवों को खुद में,
जिंदा रखती हैं, आहत हृदय में बची हुई उम्मीद को 🙌

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18 MAY 2022 AT 19:43

दीये जलाए थे रोशनी के यूँ तो बहुत मगर
रफ़्ता रफ़्ता मेरे दिल में अँधेरा उतर गया..

समझाया बहुत जेहन और दिल को अलग
दर्द नशतर की तरह ज़िन्दगी को कुतर गया..

हाँ जानती हूँ तेरी मंज़िल का रास्ता नहीं थी
सफ़र मुश्किल ही सही तेरी यादों से कट गया..

लाखों आफ़ताब भी ना कर सके रोशन
तेरे विरह का अँधेरा इस कदर बढ़ गया..

काश कि साँसों से भी कर सकती कोई सौदा
लिख देती नाम तेरे.. मेरा जीने से मन भर गया...
" Raag "

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1 JUN 2022 AT 11:25

मौसम खिज़ाओं का अपने नक़्श छोड़ गया
ये तेरा इश्क़ मेरी आँखों में दर्द छोड़ गया..

बहारों ने खिलाए थे रंगों के फूल बहुत
मौसम जुदाई का पत्ता पत्ता तोड़ गया..

निचोड़े हैं आँखों से हमने भी दरिया बहुत
एक कतरा तेरी आँखों का हमें फिर से तोड़ गया..

रख के चिराग़ मुंडेर पर हवा को आजमाना था
जुगनूओं का काफ़िला मेरा उजाला मोड़ गया..

अब मंज़िलों की कोई ख़्वाहिश भी बाकी नहीं
हर रास्ता मेरे पैरों का सफ़र मोड़ गया...
" Raag "



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31 MAY 2020 AT 20:31

उन हाथों को हथियार की जरूरत क्या?
जहां कलम उठें और लफ़्ज़ गहरे घाव कर दें।

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28 OCT 2021 AT 8:52

शब्द नहीं गढ़ते, शब्दकार गढ़ते हैं।
हथौड़े की चोट से, मोती जड़ते हैं।

यहाँ ईमान कई, भले न बिके हो
पर सस्ते बड़े अधिकार बिकते हैं।

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1 SEP 2019 AT 22:29

"कलम"

कलम हाथ लगते ही न जाने क्या ख़ुमारी छा जाती है
अल्फ़ाज़ों के जरिये अनकही बातें पन्नों पर आ जाती हैं
अचेतन मन भी खुल कर संवर जाता है
शब्दों के जरिये दिल का राज उतर आता है
कलम की गुरबत में रहना नसीब से पाया है
कलम से कलम की ताकत दिखाना कलम ने सिखाया है
"ये कलम है साहब कलम ही रहेगी कभी क़लम न होगी
गर क़लम हो भी गई कलम से तो कलम हो कर भी क़लम न होगी।"

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