QUOTES ON #कलम

#कलम quotes

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8 APR 2021 AT 23:05

बहुत टलती रही है
तारीख़ .. लिखने की कविता
इंतज़ार ख़त्म नहीं होता
तारीख़ों से कलेण्डर बदल जाता है
कविता को किस का इंतज़ार है
ये मुझे नहीं मालूम
लेकिन मैं ये जानती हूँ .. कविता इंतज़ार में है
तारीख़ों के बदलने से पहले से
कविता रोज़ कलेण्डर के हर पन्ने को
दस दस बार पलटती है .. और लौट आती है
शुरुआत के पन्ने पर
साल दर साल .. कलेण्डर बदलते गए
तारीखें भी
कविता लेकिन बदली नहीं
एक एक शब्द संजोया उसने
जस का तस
इंतज़ार में तारीख़ के .. लिखने की कविता
अब कह लो तो कह लो
समय के हिसाब से जो नहीं बदलते
पीछे रह जाते है .. गुमनामी के किसी अंधेरे में
कविता सुनती सब है
लेकिन इंतज़ार में है
लिखने के .. कहे जाने के
और वो मरने से पहले तो
लिखी जाएगी कही जाएगी
ये वो जानती है

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6 AUG 2020 AT 9:27

लेखक के हाथ में थमी एक कलम हुं मैं
तुम शब्द बनकर मुझमें बहते हो

शब्द का लेखक के अन्तर्मन से कागज पर उतरने तक के समय जितना साथ है हमारा...

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24 MAR 2019 AT 2:30

कभी कभी कुछ कविताएं ऐसी भी बनती हैं,
जिनके अल्फाज़ कागज़ पर उतर नही पाते !!

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3 JUL 2020 AT 18:22

मै,"सृष्टि" कलम से करता हूँ।
मै,अपनी 'कृति' का 'ब्रह्मा' हूँ ।।

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20 JAN 2022 AT 21:57

खुदको मिटाने की हर हरकत आजमां बैठी हूँ
मौत के तरीकों से थक कर अब मैं
कलम से आस लगा बैठी हूं

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6 JUN 2021 AT 8:13

कवि और कायनात के बीच एक जंग जारी हैं
कलम आज भी पूरी कायनात पर भारी हैं

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29 NOV 2017 AT 10:20

हाँ कबूल है मुझे मेरा ये निकाह,
हाथो में कलम, हिना का रंग स्याह |

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30 SEP 2019 AT 13:18

कलम जब_*उठाती हूँ तो पन्ने__भर जाते है

कहीं ना कहीं मेरे__ दिल के कागज़ कोरे_*रह जाते हैं



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26 APR 2020 AT 11:38

दर्द लिखो कि जीना दर्द है
दर्द की एक और रस्म है
दर्द लिखो....

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9 JUN 2019 AT 7:28

मानवता हो शहर मे,
बेटियाँ घर से ना निकले डर मे,

कोई भुखा ना रहे किसी घर मे,
कल जन्मे शिशु ना बहे नदी-नहर मे,

अन्नदाता ना डुबे कर्ज की लहर मे,
दिल ना भिगे हो जातिवाद के जहर मे,

विकास मेरी नजर मे...✍🏻

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