पल-पल बढ़ती महगाई में,
बच्चे को हँसाना जरूरी था,
घर में पैसो की किल्लत थी,
बच्चे को पढ़ाना जरूरी था।
तब कर्ज़ उठाना जरूरी था....1
भूखे रहकर राते काटी,
बहाने बनाना जरूरी था,
तुम खालो मुझको भूख नहीं,
बच्चे को खिलाना जरूरी था।
तब कर्ज़ उठाना जरूरी था ...2
शहरों की शिक्षा मंहगी थी,
महँगा था वहा का रहन-सहन,
ऊँचे थे वहा के लोग सभी,
महँगा था उनका घर आँगन,
उन ऊँचे लोगो की नज़रों में,
उसे बेहतर दिखलाना जरूरी था।
तब कर्ज़ उठाना जरूरी था....3
झूटी थी हँसी बेशक़ मेरी,
लाखो मुश्किल दामन में थी,
इन मुश्किल हालातो के बीच कही,
हँसकर दिखलाना जरूरी था।
तब कर्ज़ उठाना जरूरी था.....4
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