जब वो चलती थी कमाल लगती थी,
जैसे पानी में जलता चिराग़ लगती थी,
कोई देखे गलत नज़र से तो उसे
मेरे दिल में आग लगती थी..
उसकी बातें दिल को मिठास लगती थी,
जब वो लड़ती मुझसे तो बवाल लगती थी..
कुछ बातें अच्छी तो कुछ नागवार करती थी
फ़िर भी वो मेरी धड़कनों पर राज़ करती थी..
उसके कानों का झुमका सलाम करती थी,
फिर भी वो मेरे सांसों को बेमिसाल लगती थी..
उसके लबों की हसीं क़त्लेआम करती थी
यूं ही नहीं सबको वो लाज़वाब लगती थी..!
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