QUOTES ON #कबूतऱ

#कबूतऱ quotes

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4 MAR 2017 AT 7:42

फिर कबूतऱ ही इस दुनिया मे अपनी हुकूमत करवाऐगा,
मसीहां सुकून का हर जगह तेरे खून का दंगा लडवाऐगा,
भेड़िया बदनाम होता जाऐगा...
एक अच्छा मुहरत देख वो अपनी चोच आख़री बार चुबाऐगा, और सबको उस दिन भेड़ियों का नौश करवाऐगा...
अब अंधेरे मे क्यो,
सुबह उजालों मे हड्डिया जलवाऐगा...
मसीहां वो सबकी नज़रों का अब दिल पे भी राज़ फरमाऐगा...

किसे पता था वो शांति का प्रीत कई एैसे समर करवाऐगा
दिक्त ये है की जिसके लिए हम गोली खाने को त्यार है
बंदूक ताने असल मे वो ही खडा है!!

कहानी सुनाए दो दिन ही हुए थे

Election दस दिन मे होना है और तुम जा रही हो ?
इस बार भी आपकी ही जीत होगी एसा कह नेता जी की बीवी,गाडी मे बैठ मायके को चल दी
क्या खबर थी उनहे की वो अपने घर कभी नही पहुच पाऐंगी
नेता जी एक call करते है और किसी को location समजा रहे होते है फिर मुझे उधर से ही इशारा कर कहते है की जाओ और पीछा करो उसका
मै लाल्ची चील की तरह तेजी से जाता हूं कट्टा पैंट मे फसाऐ bike पे बैठे सोच रहा था शायद,अब तो मै उनका खास हो जाउुंगा

जैसा चाहा वैसा ही सब हुआ
उस रानी को गिराते ही हर जगह शोर मच जाता है
विपकश पार्टी भी घबरा जाती है इतने सवालातों से, सब उन्हे भेड़ियों की पर्जाति का नारा लगा,बद्द पीठ देते है
और कबुतऱ ने हमारे विपक्श के बल को एक चोच मार खत्म कर दिया

उस समर बाद वही हुआ जो होना था मंत्री बन गये वो और हम खास बन गये!!

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5 APR 2019 AT 9:55

💕मुआँ मन जब कबूतर हो जाए बेसुतून खुद को,
कदम भर भी आगे ना बढ़ने दीजे ,,
देखा है मैने मेराज-ए-मोहब्बत को अक्सर
आबोदाना की कसौटी पर ढहते हुए!!💕

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22 JUN 2020 AT 16:39

इक उम्र गुजारी खुद से लड़ने लडाने मैं
जिन्दगी खत्म कर दी कबूतर उड़ाने मैं

हम थे जो हाथ जोडने से पाँव तक आ गये
और कुछ अजीजो ने कसर नही छोडी चड़ाने मैं

एक हम थे कलेजा निकाल सामने रख देते थे
एक वो थे जिन्हे मुद्दतें लगती थी हाथ बडाने मैं

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22 NOV 2019 AT 12:42

कबूतरों को ही कहाँ तक सही है कसूरवार कहना,

गर लड़ जातीं हैं मिलाने से नजरें, तो किसने रोका है झुकाने से बहना

कबूतरखाने में तेरे कई हैं ,तेरे महफूजियत के खातिर,

फिर खिलाफ उनके होकर, क्यों कबूतर के संग रहना




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6 JUN 2019 AT 10:43

इस दिल की लगी का ये किस्सा पुराना है
फिर एक कबूतर आना है फिर उड़ जाना है

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17 JAN 2021 AT 23:22

तूँ ढूँढती है किसको इन नशेमनों में ऐ परवाज़ अब ,
जुस्तजू थी जिन्हें हिजरतें वो परिन्दे कर चुके ,
ऐ फ़सुर्दा ग़मगीन और उतरे हुए चेहरे ,
क्या तुझे सच में नजर नही आते ,
शाम का गहराता ऐ सन्नाटा ,
कह रहा है एक दास्ताँ ,
परिन्दे जा चुके हैं .

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23 APR 2023 AT 9:14

✍️It was nice to see a flock of pigeons eating with a little squirrel.✍️
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दौड़ते भागते इधर उधर, पीठ पर धारियां लिए, इनकी एक कहानी नहीं है।
भगवान श्री राम जी के इन गिलहरियों की चंचलता की कोई शानी नहीं है।
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प्रातःकाल जब नौ बजने को थे तब मेरा खिड़कियों के बाहर झांकना हुआ!
मैंने घर की छत पे देखा वहाँ कबूतरों के बीच एक गिलहरी का आना हुआ!
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तैयारियां जो चल रही थी कबूतरों की वहाँ दाने एकत्र कर ले जाने की तब!
हाँ, उस एक नन्ही गिलहरी को भी खाने का स्थान दे रहे थे, वो सबके सब!
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भिन्न प्राणियों का यूं एक जगह मिल बांटकर खाना, बेहद मनमोहक लगा!
लड़ने का तो जैसे कोई नाम ही नहीं था,बंटवारा देखने को उत्सुकता जगा!
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कबूतर जब उड़ कर चले गए तो गिलहरी ने भी छत से जाना ठीक समझा!
अनेक जो थे उपलब्ध तरीके संसाधन बंटोरने के, यह मार्ग सटीक समझा!
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2 MAY 2020 AT 19:42

इजाज़त हो अगर दिल की, कहो नेमत तुम्हे भेंजे

मेरी लिख्खी हुई है जो, कहो दौलत तुम्हे भेेंजे

ज़रा पैरों से चलकर, खड़ी छज्जे पर हो आना

गली में इक कबूतर है, कहो तो ख़त तुम्हें भेजें..।।।

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