गरीब,
फटे-हाल बच्चा,
कपड़ों के आलीशान,
शोरूम के बाहर खड़ा,
सोच रहा है..
शो-केस में खड़े,
'मैनेक्विन' को,
कपड़ों से सजा देख,
मन ही मन,
खुदा को कोस रहा है..
बनाना ही था तो,
'मैनेक्विन' बनाया होता,
'मैन' बना कर,
क्यूँ रुक गये,
काश 'क्विन' भी,
लगाया होता..
डब-डबाई आँखों से,
बूँद बन कर,
सवाल झर रहे हैं,
आदम नंगा है,
पुतले सज रहे हैं...
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