QUOTES ON #कपूत

#कपूत quotes

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4 JAN 2020 AT 16:49

सच्चाई हर किसी की, रुह पहचान जाती है
फिर भी एक माँ, उस कपूत की बात मान जाती है

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18 JUN 2017 AT 20:18

बाप इस कदर सठिआया
टॉस जीतकर भी पहले
कपूत को खिलाया

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21 FEB 2021 AT 10:55

✍️🎀"भिखारी - एक मुफ़लिस"🐾✍️
🎀🐾
है टूट गई सब खुशियाँ अब!
है वजह नहीं मुस्काने को!
🐾🎀🍊
है भूख जो दर दर दे ठोकर!
बची हिम्मत कहाँ शरमाने को!
🎀🍋🐾
है कौन यहाँ जो करें दया...?
है कौन जो दे दे नया नया...
कुछ प्यार भरा लफ्ज़ खाने को?
🍇🐾🎀
हूँ तन से स्वस्थ पर काम नहीं
फिरता हूँ रोज गुमनाम यहीं
पर न जरिया मिली कमाने को।
🍊🎀🐾
अब नजरें नहीं, मुफ़लिस हूँ मैं!
जिंदा हूँ भी तो मुर्दा चीज हूँ मैं!
अब बचा न कोई अपनाने को।
🐾🎀🙌
जब माँगू भीख तो प्रश्न बहुत!
सब लोग समझते मुझे कपूत!
कि मन कर जाए मर जाने को।
🎀🖐️🐾
हूँ देशभक्त, हूँ मैं भी सपूत!
तभी चाह है कुछ कर जाने को।
हूँ फोकट बैठा चीज जरूर
पर जज्बा है बहुत दिखाने को।

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10 MAY 2020 AT 2:25

"मेरी माँ"
मत भूलो उसे तुम जग में, जिसने तुमको जन्म दिया ।
वह और नही माँ है तेरी, जो जग में ऐसा कर्म किया।।

पौष माघ के महीने में, जब तुम गिला करता कपड़ा था
कनकनाहट जब लगती माँ को,बन्द पलक खुल जाता था
मत भूलो उसे ……............................................
अमृत पान कराती तुमको, ख़ुद भूखे रह जाती थी।
नींद न आती तुमको जब, माँ गाके लोरी सुनाती थी ।।
मत भूलो उसे.....................................................
उंगली पकड़ कर चलना सिखाई, माँ का तुम दुलार था।
सीने से लगाये रखती तुमको, तुम जग में सबसे प्यारा था।।
मत भूलो उसे…..................................................
फूटा कंठ जब जग में तेरा, माँ का ही तुमने नाम लिया।
भूल गया क्यो इतना जल्दी जब औरत का दामन थाम लिया ।।
मत भूलो उसे .....................................................
पढ़- लिख कर बना बालिस्टर, दूजो के संग न्याय किया
वह पूत नही कपूत जग में, जो माँ के संग अन्याय किया ।।
मत भूलो उसे ....................................................

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हिंसा में शामिल मिले
घर के चंद कपूत।
लगे पुलिस को कोसने
महा शांति के दूत।।

☺️वाम बोले तो उल्टा☺️

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16 MAY 2020 AT 18:33

सर्वनाश सर्वजन सर्वदा सर्वकाल पीड़ा क्रीड़ा द्यूत
पराजय पराधीन धन वैभव साम्राज्य भार्या अद्भुत
काम क्रोध लोभ मोह‌ अहंकार विकार हार प्रस्तुत
विषम विषय विसंगत विष निश हवि शीश आहूत
व्यसन असन अस्तागम्यन अनुपात वृतांत कपूत

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4 JAN 2020 AT 18:03

आजकल रुह से कहा जिस्म से प्यार करते है
यहां लोग झूठ से नहीं सच कहने से डरते है

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15 JUN 2017 AT 21:04

हो सुबह शाम तेरा इश्क का पहरा
सपूत से कपूत बनाकर
कर जा किसी के जख्म को गहरा!

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28 MAY 2020 AT 7:00

आज के दौर में मैंने मंज़र कुछ यूं देखा है।
औलादों को माँ-बाप को रुलाते देखा है।।।।।

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जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय।।

हम अति दीन दु:खी माँ! विपत जाल घेरे।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥
निज स्वभाववश जननी! दयादृष्टि कीजै।
करुणा कर करुणामयी! चरण शरण दीजै॥

जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय।।

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