"एक पड़ाव"
किसी ने कहा है,
मुस्किल वक्त में अपने ही साथ देते हैं,
लेकिन मैं नही मानता
अरे दुश्मन तो दुश्मन हैं,
अपने भी जनाजे में कन्धे बदल देते हैं।
कोई यहाँ मुझे अपना नही मिला,
माँ भी मिली, पिता भी मिले,
बहन भी मिली, भाई भी मिला,
दोस्त, दुश्मन, सगे-सम्बन्धी सब मिले,
लेकिन कोई भी यहाँ अपना नही मिला।
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