QUOTES ON #कठपुतली

#कठपुतली quotes

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26 NOV 2018 AT 14:08

बनकर कठपुतली ही सही आये तो है रंगमंच पर
ना जाने कितने किरदार दब जाते है महज़ नेपथ्य में

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25 NOV 2018 AT 17:42

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26 NOV 2018 AT 9:00

मानवीय आकार लिए
अपने अपने धागों से बंधी
निर्निमेष दृष्टि से तकतीं
कठपुतलियां...
व्यग्र कर देती हैं मुझे
एहसास करा जाती हैं ये
एक घनीभूत विवशता का
उस पीडा का कि
क्यों विवश हैं हम
अपने अपने दायरों में
अपने अपने सूत्रों बँध कर ही
गति और अभिव्यक्ति के लिए
अगर स्वतंत्रता है
तो इनके लिए क्यों नहीं ?
क्या ये हैं बस
हमारी उस छटपटाहट का
स्मरण कराने के लिए कि
विवश हैं हम लाचार हैं
एक अपाहिज मानसिकता लिए....

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19 NOV 2018 AT 8:43

उड़ना तुझे बखूबी आता हो, पर पैर जमीं पर रखना,
सुना है वक्त के हाथ की कठपुतलीयों में अकड़ नहीं होती।

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25 NOV 2018 AT 20:32

बचपन में देखा, कठपुतली का खेल याद है?
अदृश्य से धागों में जादू पिरोता हुआ कलाकार,
उसके जादू से नाचती हुई कठपुतलियां,
और इन सब से मंत्रमुग्ध हुए, ताली बजाते हम|
बचपन में देखा, कठपुतली का खेल याद है?

आज भी होता है कठपुतली का ये खेल|
अदृश्य धागों में जादू पिरो रहें है लोभ, धर्म, और जातिवाद,
इन जादुओं से अनैतिक, असंवेदनशील होकर नाच रहे हैं हम|
बस यह नहीं दिख रहा कि ताली कौन बजा रहा है?
बचपन में देखा, कठपुतली का खेल याद है?

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22 JUN 2020 AT 19:33

चलो आज जिंदगी के रंगमंच पर फिर एक किरदार निभा लेते है
हम मुस्कुरा मुस्कुरा कर अपने आंसू सबसे कहीं तो छुपा लेते है
इसका ये अर्थ कदापि नहीं की बेड़ियों का यह अहसास कम है हमें
ऐसा भी कुछ नहीं की इस दुनियां में सबसे ज्यादा बस गम है हमें
फिर भी चलो आज मिलकर अपनी आज़ादी के फिर एक आवाज़ लगा देते है
शायद कोई तो सुन ले हमारी खामोश चीखें सुबकते आंसू जो हम यूं ही बहा देते है
आज़ादी का अर्थ हमारे लिए तो दुगुनी मार ही हो गया है अब
बाहर और घर के काम अकेले ही करने पड़ते हमको है जब
हम कदापि यह नहीं कहते कि आप घर के काम हमारे साथ कीजिए
मगर हमारे पास बैठ कर बस आप कभी तो प्यार से मुस्कुरा दीजिए
बोझ हो जाएगा थोड़ा तो हमारा कम जब आप प्यार से हाथों में हाथ देंगे
करना कुछ नहीं आपको बस एक वादा कीजिए की आप हर कदम पर साथ देंगे

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26 NOV 2018 AT 10:59

We live in the world where some are writers and others are simply Xerox machines.

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कठपुतलियों सी हो गयी है जिंदगी ,
जिसने जब चाहा अपने मुताबिक नचाया ॥

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12 AUG 2020 AT 15:33

जिंदगी तो बस एक तमाशा है
जिनमें मनुष्य एक कठपुतली है,
जिंदगी जैसे हमे नचाते रहते है
हम वैसे ही नाचते रहते है||

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15 SEP 2018 AT 22:50

तमाशा ही है ज़िन्दगी, कठपुतली है हम,
बस उंगलियां बदलती जा रही है,
हर दिन नया खेल!

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