मैंने हताशा में किसी के कंधे पर सर नहीं टिकाया,
कभी किसी के लगकर गले
दुख में रोया नहीं जार जार,
नहीं साझा कर पाया दुख में एक भी बात,
जरूरत के वक्त ना मांग सका मदद,
और मदद मांगते वक्त मोल ले बैठा
एक अपराधबोध..!!!
कईयों को यकीन है
कि मैं उनका दोस्त,
मेरा भी कोई दोस्त है,
मैं इतने यकीन से नहीं कह सकता..!!!
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