QUOTES ON #औरतें

#औरतें quotes

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11 FEB 2019 AT 6:26

हर किसी के लिये सोचती है,
खुद से रहती हैं दूर औरतें ।।

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10 NOV 2020 AT 12:14


कौन कहता है औरत कमजोर होती है .....
औरत से ज्यादा ताकत किसी में नहीं होती .....
कौन कहता है औरत रोती रहती है......
औरत से ज्यादा सहनशक्ति किसी और में नहीं होती !!!!!
कौन कहता है औरत कमजोर होती है .......
तुम्हारा वंश आगे बढ़ाने की ताकत और किसी में नहीं होती.........
कौन कहता है औरत महत्वहीन होती है....
इस जहाँ की शान कोई और नहीं होती...
मेरा मानना है औरत ही शाक्ति है औरत ही लक्ष्मी है औरत ही ज्ञान है
इसलिये औरत का सम्मान  करना सीखो
सम्मान करो, औरत का
तभी तुमको सम्मान मिलेगा ☺☺

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4 MAY 2021 AT 18:52

सभी "औरतें" अपने प्रेमी में बस
"शाहजहां" नहीं ढूंढ़ती,
की बनाए उनके के लिए "आलिशान ताजमहल",
बहुत सारी "औरतें" अपने "प्रेमी" में
ढूंढती है "दशरथ मांझी" की उन्हीं के तरह
"उनके प्रेमी" भी "वीरान" में कोई
"राह" निकाल दे "समूचे समाज" के लिए..!!!
:--स्तुति

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22 JUL 2020 AT 12:39

मुझे समाज के उन लोगों
पर काफी हंसी आती है
जो "औरतों के हक" की बातें
अपने "घर की औरतों" के सामने
नहीं कर सकते
क्योंकि उनका "दिमाग खराब" हो जाता है

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"ये औरतें"
न जाने किस रहगुजर की तलाश
आंँखों में नज़र आती है,
ये औरतें हर दौर में
खुबसूरत नज़र आती हैं,
दिल की आलमारी में
समेट कर रख लेती हैं
चंद ख्वाहिशें, अरमां और चाहतें.....
फिर भी अहसास की दौलत
सब पर लुटाती हैं,
ये औरतें हैं न जनाब
बहुत दिलदार नज़र आती हैं।
क्रमशः


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28 JAN 2022 AT 7:40

"औरतें पागल होती हैं ..सच में .....!

उनका रिश्ता पूरी दुनिया से होता है
मुहब्बत का नहीं सिर्फ़ ज़रूरत का
एक वक़्त के बाद ज़रूरतें बदलने लगतीं हैं
और बदलने लगते हैं औरतों के चेहरे भी
बस .......सच का यही आईना
औरतें शायद देखना नहीं चाहतीं..।"

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6 NOV 2020 AT 11:17

कुछ औरतें अपनी ख्वाहिशों को रोज शाम सुलगाती है चूल्हे के आग में,
फिर खुद ही उसे सुबह बड़े ध्यान से कुदेरती है
इस आश में,
कि शायद इसमें जलाए गए, कुछ ख्वाहिश अभी भी
राख ना हुई हो...!!!

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5 DEC 2021 AT 18:20

औरतें पैदा नहीं होती
औरतें तो बनाई जाती हैं.!!!
:--स्तुति

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20 OCT 2021 AT 17:07

औरतें—
एक दिन निकल लेंगी चाँद पर
भूखी प्यासी
पोथी-पतरा उठाये
थाली-लोटा छलनी लिये....

राजसी ठाठ से
रानी-महारानियों की तरह
चाँद की भुइयाँ पर पांँव रखेंगी
टहनियों से
लपककर तोडेंगी तारे
और खोंस लेंगी जूडों में...

औरतें—
चाँद पर सूत-कातती
पुरखिन के गोड़ धरेंगी
बूढ़सुहागिन रहो
दूधन नहाओ पूतनफलो आशीर्वाद से
कृतार्थ होकर
वापस आ जायेंगी
इस महापृथ्वी पर,

औरतें एक दिन...।
कविता

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13 AUG 2021 AT 20:47

इस अजब सी दुनियां में सब होते हुए भी
अलग सा महसूस करती वो,
बहुत गम होते, उसके मन में
कमबख्त कितने दुखों से गुजरती होगी वो
सब को लगता मज़बूत हैं, वो
पर, जीने को कोई वजह न बचती
जब अपने ही अपने ना रहे....!!


:– अज्ञात



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