स्वयं तक सीमित रहने का सुख था
कि प्रेमी के झूठ ही झूठ लगते थे,
देखी जब देश दुनिया की हालत
तुम्हें माफ करने का जी करने लगा,
छिप-छिप के जिसने आँसू बहाये
वो बला भी आज चीख पड़ती है,
उसको दर्द कुछ जल्दी होता है
दो बच्चों से एक सा प्यार जो करती है,
देश में तो दंगे होते है
औरत घर में ही खुश रहती है ।
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