मेरी मां
मै कोई बेनाम संपति नहीं ,जिसे हर कोई लूट सके।
मोहब्बत में लूटता हूं,दुश्मन में इतना दम नहीं
दोस्ती में लुटाया सब कुछ ,भीड़ में इतना दम नहीं।
ख्वाब रखते हैं नवाब के ,हम भी नवाबों से कोई कम नहीं।
वो शान से चलते हैं घोड़ों से, हमारे पैर भी किसी से कम नहीं।
मानते हैं खयालात कुछ मिलते है, पर बेशक हम वो नहीं।
वो सजाए सोने चांदी की मोहरे,बेशक पर मेरे मां का चांद किसी उजाले से कम नहीं।
मेरी मां लड़ जाती है किसी से भी,उसके ख्यालों में मै किसी ताज के ख्वाब महल से कम नहीं।
भले कुछ भी हो मेरी मां ,किसी जन्नत से कम नहीं।
क्या खोजू जमाने में खजाना,मेरी मां की दुआ किसी खजाने से कम नहीं।
सब कुछ लुटा दे मेरी खुशी में, मेरी मां के सिवा दूजा कोई नहीं।
लड़ जाए जो इस से उस जंहा तक, उस मां के कर्म किसी वरदान से कम नहीं।
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