साथ तुम छोड़ो या मैं छोड़ू रिश्ता हमारा खराब होगा...
बेवजह दिल में गिला शिकवा रखने से उम्मीद का दामन छोड़ने से रिश्ता हमारा खराब होगा...
छोड़ दो ये रोज की तकरार मुकद्दर का लिखा कोई नही मिटा सकता दूरियां तुम बढाओ या मैं रिश्ता हमारा खराब होगा......
मिल कर संजोते हैं इस रिश्ते को कितने भी गीले शिकवे हो न टूटने देंगे इस बंधन को अगर बिखरने दिया इस रिश्ते को तो ना ऐतबार रहेगा ना इकरार होगा मगर रिश्ता हमारा खराब होगा.......
वैसे तो मैं दिखाता हूं जहाँ को भूल गया तुझे पर आज भी मैं सिर्फ तेरा ही होना चाहता हूं तूने न समझा कभी मेरे ज़ज्बात को पर आज भी मैं तुझमे ही खोना चाहता हूं शायद तुझे कभी मेरा हाथ पकड़ना रास न आया मैं हूं जो तेरे गले लिपटकर सिर्फ रोना चाहता हूं तू एकबार मुझे अपना समझकर देख आने की जगह दे मुझे मैं तेरे दिल में बसना चाहता हूं मेरा सबकुछ तू तेरा कुछ भी नही हूं मैं पता है तू मेरे ज़ज्बात समझ बस मैं तुझे कितना चाहता हूं मेरे तो रग रग में बसा है सिर्फ तू और तेरी यादें समां ले मुझे खुद में मैं रग रग में तेरे होना चाहता हूं बहुत तड़पाया तूने अब यूँ तड़पा नही जाता मुझसे भले कुछ पल के लिए तू मेरा हो बस यही चाहता हूं नींद नही आती रातों में अक्सर तन्हा से हूं रहता चंद पलों के लिए ही सही सुकूं की नींद सोना चाहता हुं आज भी मैं सिर्फ और सिर्फ तेरा होना चाहता हूं तुझमें ही सिर्फ ख़ुद को खोना चाहता हूं वैसे तो दिखाता हूं जहां को कि भूल गया तुझे