एक सिर्फ तुझे ढूढ़ते - ढूढ़ते 'ऋतु'
उसने ढूढ़ लिये हैं कई और 'ऋतु'
पर रंग अलग है, ढंग अलग है सबके 'ऋतु'
कैसे भाये उसके दिल को ये अजीबोगरीब 'ऋतु'
कोई है सर्द, तो कोई है गर्म ' ऋतु'
कोई है ऊष्म, तो कोई है बरसात 'ऋतु'
और तुम हो मदमस्त,अल्हड़ वसंत 'ऋतु'
भला कहाँ मिलेगी उसके दिल को तुझ बिन चैन 'ऋतु' !
-