उसके कहनें पर, उसके शहर में मैनें ठहर के देखा।
चाँदनी रातों में, अंधेरे के सिवा मैनें कुछ नहीं देखा।
उसके कहनें पर, उसके शहर के बागों को देखा।
खिले हुए पौधों पर, मुरझायें हुये फूलों के सिवा कुछ नहीं देखा।
उसके कहनें पर, उसके शहर के लोगों को आजमाँ के देखा।
बेमत़लब के लोगों को, मतलब निकालनें के सिवा कुछ नहीं देखा।
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