कल आज़ादी का इस्तेमाल देखा,
जब दुपहये पर सवार पांच इंसान देखा,
शोर कोलाहल भरपूर हर ओर था,
मैंने नशे में झूमता हर इंसान देखा,
क्या मकसद है आजादी का ज़रा पता करो यारों,
मैंने कल बेमक़सद हर इंसान देखा,
ये तिरंगा जो शान की निशानी है,
मेरे भारत के अभिमान की कहानी है,
कल कुछ लोगों के हाथ में, फिर कूड़ेदान में देखा,
हर नियम को ताक पर रख, हर कोई था घूम रहा,
कल ऐसे मंदबुद्धियों को इंकलाब बोलते देखा,
यही नौजवान ले जाएंगे भारत को नई बुलंदी पर,
यातायात नियम तोड़ जिन्हें कल भागते सरेआम देखा,
हर ओर माहोल था गर्विले हुड़दंग का,
कल सबको आज़ादी का जश्न मनाते देखा।
-